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पहाड़ी क्षेत्रों में प्रदूषण जांच को लेकर मार, सुबह 4 बजे से लग रही लंबी कतार - ट्रैफिक नियम

एक सितंबर से नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य हो गया है. इसके चलते लोग हल्द्वानी के प्रदूषण जांच सेंटर में पहुंच अपने वाहनों के प्रदूषण जांच करा सर्टिफिकेट ले रहे हैं. जहां लंबी लाइन होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना कर रहे हैं.

पहाड़ी क्षेत्रों में प्रदूषण जांच केंद्र का अभाव.

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Published : Sep 10, 2019, 9:09 PM IST

हल्द्वानी: शहर में मोटर व्हीकल पॉल्यूशन सेंटर के बाहर लंबी लाइन होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. न्यू मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद लोग अपने वाहनों के पॉल्यूशन लाइसेंस बनाने के लिए सुबह चार बजे से लाइन में लग रहे हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में पॉल्यूशन जांच सेंटर न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी पहाड़ में रह रहे लोगों को हो रही है.

पहाड़ी क्षेत्रों में प्रदूषण जांच केंद्र का अभाव.

1 सितंबर से नया मोटर व्हीकल एक्ट आने के बाद लगातार हो रहे चालान के डर से लोग पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इसके लिए लोग सुबह से ही लाइन में लग रहे हैं. लोगों में इतनी दहशत है कि वे अपने वाहनों के कागज पूरे न होने के कारण अपने वाहन तक नहीं चला रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हो रही है, क्योंकि वहां कई जगहों पर प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है. इसके चलते लोग हल्द्वानी के प्रदूषण जांच सेंटर में पहुंच अपने वाहनों के प्रदूषण जांच करा सर्टिफिकेट ले रहे हैं.

सुबह से ही लग रही लोगों की लंबी कतार
बता दें कि हल्द्वानी शहर में 7 प्रदूषण जांच केंद्र हैं, जहां सुबह से ही लंबी वाहनों की कतारें देखी जा सकती हैं. जांच केंद्रों पर भीड़ को देखते हुए जांच केंद्र टोकन के माध्यम से वाहनों का जांच कर रहे हैं.
प्रदूषण जांच केंद्र स्वामियों ने बताया कि पॉल्यूशन की जांच मशीन द्वारा ऑनलाइन की जा रही है, जिसके तहत वाहन चालक से 100 रुपये लिए जा रहे हैं. अगर उसका वाहन जांच में फेल होता है तो मशीन उसको रिजेक्ट कर देती है. साथ ही उसको सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता है.

एक केंद्र से हो रहे रोजाना 300 वाहनों के प्रदूषण की जांच
साथ ही उन्होंने बताया कि रोजाना एक केंद्र से लगभग 300 वाहनों का प्रदूषण जांच किया जाता है. ग्राहकों की भीड़ को देखते हुए सुबह आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक ग्राहकों के लिए सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. उनका कहना है कि एक वाहन में प्रदूषण जांच कर उसको प्रमाण पत्र जारी करने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है. कई बार परिस्थितियां ऐसी बनती है कि सर्वर डाउन होने के चलते प्रमाण पत्र जारी होना बंद हो जाता है.

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पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं कोई भी जांच केंद्र
वाहन स्वामियों ने बताया कि पहाड़ के अधिकत्तर क्षेत्रों में प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है, जिसके चलते उनको सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. अल्मोड़ा, रानीखेत सहित नैनीताल, भीमताल के इलाकों में कहीं भी जांच केंद्र नहीं है.

बता दें कि एक सितंबर से नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य हो गया है. किसी भी वाहन स्वामी के पास अगर प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं होता है तो 1000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है.

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