हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश के बिचौलियों द्वारा कुमाऊं मंडल के उधम सिंह नगर, चंपावत और नैनीताल जनपद में उत्तर प्रदेश से धान लाकर धान तौल कांटों पर बेचे जाने का मामला सामने आया है. उत्तराखंड के किसानों से मिलीभगत कर इस काम को अंजाम दिया गया है. सरकार द्वारा धान खरीद लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद धान की खरीद बंद कर दी गई. ऐसे में कुमाऊं मंडल के बहुत से किसान अपना धान बेचने से वंचित रह गए हैं. बताया जा रहा है कि मंडल के करीब डेढ़ हजार किसानों की धान खरीद की फिर से जांच कराई जाएगी. जिनके माध्यम से उत्तर प्रदेश के धान को यहां बेचा गया है.
धान खरीद फर्जीवाड़ा: डेढ़ हजार किसानों से धान खरीद की होगी जांच
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा उत्तराखंड के किसानों के साथ मिलीभगत कर वहां से धान लाकर उत्तराखंड में धान तौल कांटों पर बेचे जाने का मामला सामने आया है. ऐसे में मंडल के करीब डेढ़ हजार किसानों की धान खरीद की फिर से जांच कराई जाएगी.
गौरतलब है कि उत्तराखंड आरएफसी द्वारा सरकारी क्रय केंद्रों पर धान और गेहूं बेचने वाले किसानों से खतौनी और अन्य दस्तावेज के आधार पर धान की खरीद की जाती है. लेकिन उत्तर प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड में धान के अच्छे दाम मिलने के चलते उत्तर प्रदेश के बिचौलियों ने यहां के किसानों के साथ मिलीभगत कर उनके दस्तावेजों पर धान की बिक्री की है. आरएफसी कुमाऊं मंडल के 30 कांटों पर हुई धान खरीद का सत्यापन करने जा रहा है. इन तौल कांटों पर अक्टूबर माह में ही 1,000 से अधिक किसानों ने धान बेचा था. तौल कांटों पर रोजाना 500 से अधिक ट्रॉलियों से धान लाया जा रहा था. जांच में यह भी पता चला है कि बिचौलियों ने गन्ने की खेती के रकबे को धान में दिखाकर धान की बिक्री की है.
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वहीं अब आरएफसी इन सभी धान खरीद किसानों की लिस्ट मंगाकर बिचौलियों को पकड़ने की तैयारी में है. आरएफसी ने अब इन किसानों की खतौनी और दस्तावेज की भी जांच शुरू कर दी है कि इस बार उनके पास धान का कितना उत्पादन हुआ था. क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक अधिकारी ललित मोहन रयाल ने बताया है कि किसी भी किसान द्वारा धान की बिक्री में फर्जी दस्तावेज लगाकर बिक्री की गई होगी तो किसान और बिचौलियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.