हल्द्वानीःकुमाऊं मंडल में देरी से हुई बारिश (delayed rain in kumaon division) और अब कम बरसात के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है. बारिश में देरी के बाद कम बरसात से किसानों को धान की खेती में नुकसान (loss in paddy cultivation) होने का डर सता रहा है. कम बरसात के कारण धान की रोपाई का रकबा भी कम होने की उम्मीद जताई जा रही है.
उत्तराखंड का कुमाऊं मंडल अध्ययन उत्पादन (Kumaon Circle Study Production) के लिए जाना जाता है. कुमाऊं मंडल में सबसे ज्यादा धान का उत्पादन उधमसिंह नगर में होता है. लेकिन इस बार धान के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. कुमाऊं मंडल के 6 जिलों में 1,67,060 हेक्टेयर धान की बुवाई हुई है. इसमें उधमसिंह नगर में 1,09,059 हेक्टेयर, नैनीताल में 10,925 हेक्टेयर, अल्मोड़ा में 10 हजार हेक्टेयर, बागेश्वर में 12,535 हेक्टेयर, पिथौरागढ़ में 20,050 हेक्टेयर, चंपावत में 4500 हेक्टेयर धान की बुवाई हुई है.
जानकारों की माने तो बारिश में देरी और कम मॉनसून के कारण पहले ही चावल के उत्पादन में लगभग 15 प्रतिशत का नुकसान हुआ है और यदि आगे और बारिश कम हुई तो धान की पैदावार और भी कम हो सकती है. जून और जुलाई में बरसात नहीं होने के कारण धान की रोपाई इस बार लेट हुई है. अगस्त में कुछ बरसात हुई तो धान की रोपाई किसी तरह कर ली गई. अब धान की फसल को पानी की जरुरत है और बरसात कम हो रही है. इससे किसानों का चिंता बढ़ गई है.
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संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल प्रदीप कुमार सिंह भी मान रहे हैं कि बारिश में देरी के बाद कम बरसात धान के किसानों के लिए परेशानी बनी है. लेकिन भविष्य में अच्छी बारिश किसान धान की फसल में उर्वरक, रसायन, माइक्रो न्यूट्रिएंट अगर मेंटेन रखता है तो उत्पादन कम होने की उम्मीद कम रहेगी. इस समय मौसम के मार के साथ-साथ फसलों में कीट के प्रकोप का समय है. इसको देखते हुए पूरे मंडल के कृषि रक्षा अधिकारियों को अलर्ट पर रखा हुआ है कि कोई भी कीट फसलों में लगते हैं तो इसकी जानकारी किसानों तक पहुंचाई जाए.