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बिना रासायनिक दवाओं के नरेंद्र कर रहे आम का उत्पादन, लोगों को रखना चाहते हैं सेहतमंद - हल्द्वानी न्यूज अपडेट्स

हल्द्वानी के किसान नरेंद्र मेहरा अपने आम के बगीचे में रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे आम का उत्पादन अच्छा हो सके और आम खाने वाले लोगों पर भी इसका फायदा मिले.

Haldwani Mango News
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Published : Mar 15, 2020, 12:03 PM IST

हल्द्वानी:बदलते दौर में मोटा मुनाफा कमाने और ज्यादा उत्पादन के लिए किसान अपने फसलों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन हल्द्वानी के गौलापार के रहने वाले प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा अपने फसलों के साथ-साथ अपने आम के बगीचे को भी जैविक बगीचा बना दिया है, जिससे आम का उत्पादन अच्छा हो सके और आम खाने वाले लोग भी सेहतमंद रहें.

आम का बेहतर उत्पादन चाहते हैं तो जैविक खाद का करें इस्तेमाल.

किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है कि उनके बगीचे में 110 आम के पेड़ हैं, जिससे पिछले कई सालों से जैविक तरीके से आम का उत्पादन कर रहे हैं. किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है आम के पेड़ों में अधिकतर शाखा गांठ रोग लग जाते हैं, जिससे निपटने के लिए लोग रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हैं. उन्होंने अपने बगीचे में इस रोग से निपटने के लिए पेड़ों में जैविक खाद डालते हैं जो पेड़ों को शाखा गांठ रोग से बचाता है.

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उन्होंने बताया कि जैविक आम के पेड़ में अगर लाल चीटियां लगती हैं तो इससे पता चलता है कि उस पेड़ में कोई रसायनिक उर्वरक नहीं डाला गया है और यह लाल चीटियां इन पेड़ों की मित्र चीटियां होती है, जो रोगों से बचाती हैं. अगर उन पेड़ों में रासायनिक उर्वरक डाला जाएगा तो लाल चीटियां मर जाती है. उन पेड़ों पर लाल चीटियां नहीं रहती हैं. उन्होंने बताया कि लोगों की स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जैविक एक आम का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे कि लोगों के सेहत पर इसका असर न पड़ सके. नरेंद्र मेहरा का कहना है कि इस बार उनके पेड़ों पर जनवरी माह में ही अच्छे आम आए हैं. इस बार आम का उत्पादन अच्छा होगा जो पूर्ण रुप से जैविक होगा.

बता दें कि किसान रासायनिक खाद के अंधाधुध उपयोग से उत्पादन तो बढ़ा रहे हैं लेकिन इसके परिणाम काफी दुष्प्रभावी होते हैं. जैविक खेती भूमि प्रदूषण तो रोकता ही है, साथ ही जमीन की उर्वरक शक्ति भी बनी रहती है.जैविक खेती के जरिए किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

जैविक खेती के फायदे

  • भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है.
  • सिचाई अंतराल में वृद्धि होती है.
  • रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने के साथ ही लागत भी कम आती है.
  • फसलों का उत्पादन बढ़ता है.

पर्यावरण के लिए फायदेमंद

  • भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है.
  • फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में इजाफा होता है.
  • बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना.
  • मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन के प्रदूषण के साथ ही पानी भी स्वच्छ बना रहता है.
  • बीमारियों में खासी कमी आती है.
  • जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है.
  • भूमि की जल धारण क्षमता में बढ़ोतरी होती है.
  • भूमि के पानी का वाष्पीकरण में कमी आती है.

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