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Uniform Civil Code: कॉमन सिविल कोड को लेकर क्या है जनता और विपक्ष की राय? पढ़ें पूरी खबर - Uniform Civil Code in Uttarakhand

देश में कॉमन सिविल कोड (uniform civil code) लागू किए जाने पर अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ने सरकार की सराहना की है. उत्तराखंड में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने केंद्र कि इस पहल को सराहनीय कदम बताया है. हालांकि, विपक्ष ने कहा है कि सरकार नए-नए कानून की बात करके महंगाई, बेराजगारी समेत अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम कर रही है.

Uniform Civil Code
कॉमन सिविल कोड

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Published : Apr 24, 2022, 12:46 PM IST

हल्द्वानी:केंद्र सरकार देश में कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसको लागू करने के लिए संकेत भी दे दिए हैं. ऐसे में इस कानून को लेकर लोगों में अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. उत्तराखंड में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने केंद्र और राज्य सरकार कि इस पहल को सराहनीय कदम बताया है. वहीं, मुस्लिम महिलाएं भी इस कानून के पक्ष में हैं. हालांकि, विपक्ष ने सरकार को घेरा है.

अल्पसंख्यक आयोग कानून के पक्ष में:अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने कहा है कॉमन सिविल कोड लागू करना केंद्र सरकार की एक अच्छी पहल है. इसमें सभी को अपने समान अधिकार मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अभी तक मुस्लिम समुदाय के लिए जो भी कदम उठाए गए हैं, वह सराहनीय कदम हैं.

उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर विकास नहीं हो सकता है, क्योंकि हम सभी सुविधा लेना चाहते हैं. सरकार द्वारा जा चलाई जा रही रही योजनाओं का देश की जनता को लाभ मिला है, जिसमें मुस्लिम भी शामिल हैं. ऐसे में अगर कॉमन सिविल कोड लागू होता है, तो यह सभी के लिए फायदेमंद होगा और सभी को समान कानून का लाभ मिलेगा.

कॉमन सिविल कोड को लेकर विपक्ष और जनता की राय.

मुस्लिम महिलाओं का मिल रहा समर्थन:हल्द्वानी निवासी महक खान का कहना है कि जिस तरह से पहले तीन तलाक को लेकर सवाल खड़े हुए थे, पूर्व में जिस तरह से मुस्लिम महिलाओं का तीन तलाक के नाम पर उत्पीड़न हुआ है, वो आज अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. उसी तरह से कॉमन सिविल कोड लागू होता है, तो हिंदू हो या मुस्लिम सभी के लिए अपना एक कानून एक अधिकार प्राप्त होगा, जो देश और समाज के लिए एक अच्छी पहल है.
पढ़ें- अनुच्छेद 370, CAA, ट्रिपल तलाक के बाद अब कॉमन सिविल कोड की बारी : अमित शाह

क्या कह रहे जानकार:एडवोकेट ललित जोशी के मुताबिक भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाए रखना सराहनीय कदम है. कॉमन सिविल कोड लागू हो जाने से किसी जाति धर्म के नाम पर कोई काम नहीं होगा, बल्कि लोगों को अपना अधिकार मिलेगा. सभी के लिए एक समान कानून होना चाहिए, सही में धर्मनिरपेक्ष इसी को कहा जाएगा. हल्द्वानी निवासी सलीम खान का कहना है कि कॉमन सिविल कोड लागू होना सभी के लिए अपना अधिकार पाना है. इस तरह के कानून से हिंदू मुस्लिम, सिख सभी तरह के लोगों को अपना एक ही कानून होगा जो राष्ट्र हित में होगा.

विपक्ष ने सरकार को घेरा:हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश का कहना है कि सरकार को कॉमन सिविल कोड लागू करने से पहले आम जनता की बात करनी चाहिए. क्योंकि देश की जनता महंगाई से त्रस्त है. जनता के पास रोजगार नहीं है. मगर सरकार को इन सब मुद्दों से हटकर नए नए कानून लाकर केवल भ्रम पैदा करने का काम कर रही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि सबसे पहले देश की महंगाई कम करें और लोगों को रोजगार दे, जिससे देश और प्रदेश का हित हो सके.

कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) देश में जल्द ही लागू हो सकती है. इसके संकेत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दिए हैं. अमित शाह ने कहा है कि CAA, राममंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले के बाद अब कॉमन सिविल कोड की बारी है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इस कानून का पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है. उत्तराखंड में यह कानून लागू होने के बाद यहां के हालातों का जायजा लिया जाएगा, जिसके बाद पूरे देश में इस नियम को लागू किया जाएगा.

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