नैनीताल:सरोवर नगरी नैनीताल स्थित उत्तराखंड प्रशासनिक एकेडमी में दो दिवसीय आपदा प्रबंधन नीति निर्माण (Disaster Management Policy) को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने इस कार्यशाला का उद्घाटन वर्चुअल रूप से किया. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए पूर्व तैयारी ही आपदाओं से बचने का उपाय है. राज्य में डिजास्टर मैनेजमेंट पर होनी वालीं तमाम कार्यशालाओं में आने वाले निष्कर्ष सिर्फ थ्योरी तक सीमित नहीं रहने चाहिए बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय उपयोगी सिद्ध होने चाहिए.
बता दें कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में में हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा, नागालैंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि ऐसी कार्यशालाओं के निकले निष्कर्ष मुख्यमंत्री कार्यालय को भी ससमय उपलब्ध कराए जाएं ताकि इन अनुभवों को समय पर उपयोग किया जा सके. हमें डिजास्टर मैनेजमेंट में थ्योरी से अधिक प्रैक्टिकल को महत्व देना है.
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सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्य आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों के बीच पर्वतीय राज्यों की आपदा से लड़ने की चुनौती और भी बढ़ी है. साथ ही जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियरों की पिघलने की गति तेज हुई है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते पेयजल स्रोत व्यापक रूप से सूखने लगे हैं. लिहाजा, भविष्य में होने वाले बड़े संघर्ष का कारण पेयजल भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में पुनर्निर्माण कार्यों को युद्धस्तर पर सम्पादित किया गया, जिसके कारण ही बहुत कम समय में उत्तराखंड देवभूमि की पहचान बाबा केदार की स्थली का न केवल पुनर्निर्माण किया गया, बल्कि बाबा केदार के धाम को एक विहंगम एवं अलौकिक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है.