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बाघों के संरक्षण को लेकर यूपी और उत्तराखंड के अफसरों ने तैयार किया प्लान, तस्करी पर जताई चिंता

बाघों के संरक्षण के लिए हल्द्वानी में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक की गई. जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 70 से ज्यादा वन अधिकारियों ने बाघों की शिकार, तस्करी और संरक्षण के मामले पर गहनता से विचार-विमर्श किया गया. साथ ही बॉर्डर पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए.

बाघों के संरक्षण के लिए हल्द्वानी में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक

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Published : Jun 26, 2019, 9:11 PM IST

हल्द्वानीः बाघों के संरक्षण के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के तत्वावधान में एक इंटर स्टेट कोऑर्डिनेशन मीटिंग आयोजित की गई. इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 70 से ज्यादा वन विभाग के आला अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में बाघों का शिकार, तस्करी और संरक्षण के मामले पर गहनता से विचार-विमर्श किया गया.

बाघों के संरक्षण के लिए हल्द्वानी में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक.

बुधवार को हल्द्वानी में एनटीसीए के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 70 वन अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक में खासकर दोनों प्रदेशों की सीमाओं पर होने वाले बाघों के शिकार के मामलों पर वन विभाग की इंटेलिजेंस को सतर्क रहने के निर्देश दिए. बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि अक्सर शिकार और तस्करी सीमावर्ती इलाकों में ज्यादा होती है. जहां पर अपराधी और तस्करों को भागने में आसानी होती है. ऐसे में इन एरिया पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए. वहीं, वन अधिकारियों ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिन-जिन बिंदुओं पर चर्चा हुई है, उसे तुरंत एक्टिवेट मोड पर लाया जाएगा.

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पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि उम्मीद जताई जा रही है कि बाघों के संरक्षण में दोनों प्रदेशों के वनाधिकारियों की मीटिंग बेहतर साबित होगी. उत्तराखंड पहले से ही बाघों की संरक्षण में आगे रहा है, जो राज्य के लिए एक अच्छी खबर भी है. साथ ही कहा कि अब जरूरत है कि बाघों के संरक्षण को लेकर अधिकारी अलर्ट रहें. खास तौर पर तस्करी जैसे अपराधों पर लगाम लगाने की कोशिश की जाएगी.

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