हल्द्वानी: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक अप्रैल से नई गाइडलाइन जारी हो जाएगी. नई गाइडलाइन के अनुसार गैर औद्योगिक संस्थानों को भी अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी. इसमें रेलवे स्टेशन और आवासीय विद्यालय को भी जोड़ा गया है.
नई गाइडलाइन के अनुसार रेलवे स्टेशन, वर्कशॉप, एयरपोर्ट, होमस्टे (पीजी), बैंक्वेट हॉल, गेस्ट हाउस, आवासीय विद्यालय, वाशिंग सेंटर, होटल और रेस्टोरेंट सहित गंदे पानी का उत्सर्जन करने वाले 42 प्रतिष्ठानों को अपने कारोबार को संचालित करने से लिए अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक अप्रैल से सभी के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है. अब इन सभी संस्थानों को गंदे पानी उत्सर्जन यानी वेस्ट वाटर मैनेजमेंट के तहत मानक पूरे करने होंगे. यही नहीं अब हल्द्वानी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन को वेस्ट वाटर मैनेजमेंट के मानक पूरा करते हुए लाइसेंस लेना अनिवार्य है. जिसके तहत उन्हें 25,000 रुपए सालाना भुगतान करना होगा.
गैर औद्योगिक संस्थानों के लिए जरूरी खबर पढ़ें-होली के बाद दून में बढ़ सकती है कोरोना संक्रमितों की संख्या, अस्पताल में रिजर्व किये गये 110 बेड
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके चतुर्वेदी ने बताया कि नए नियम के तहत अब एक अप्रैल से इन संस्थानों को अपने प्रतिष्ठान चलाने से पहले एनओसी लेना अनिवार्य होगा. जिसके तहत संस्थानों को ऑनलाइन आवेदन करना है. गैर औद्योगिक संस्थानों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. जो संस्थान 100 किलोलीटर से ज्यादा गंदे पानी का उत्सर्जन करते हैं, उन्हें रेड कैटेगरी में रखा गया है. इसके अलावा 100 किलोलीटर से काम वालों को ऑरेंज और जो संस्थान 10 किलोलीटर से कम पानी का उत्सर्जन करते हैं, उन्हें ग्रीन जोन में रखा गया है. इसके लिए आवेदन फीस 50 हजार, 25 हजार और 10 हजार रुपए निर्धारित की गई है.
एनओसी लेने के लिए संस्थान को गंदे पानी उत्सर्जन, उसके ट्रीटमेंट, सीवरेज और नॉन सीवरेज वाले पानी की गुणवत्ता की व्यवस्था के मानक पूरी करने होंगे. जिसके बाद विभाग उनको एनओसी देगा. जो संस्थान अनुमति नहीं लेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.