तराई केंद्रीय वन प्रभाग में तैनात रेंजर 15 दिन से लापता हल्द्वानी:तराई केंद्रीय वन प्रभाग में तैनात वन क्षेत्राधिकारी हरीश चंद्र पांडे पिछले 15 दिनों से लापता हैं. हरीश चंद्र पांडे की तलाश में परिजन बेहाल हैंं, लेकिन पुलिस और वन विभाग के अधिकारी 15 दिन बाद भी हरीश चंद्र पांडे को ढूंढ नहीं पाए हैं. परिजन परेशान हैं. पुलिस भी लगातार खोजबीन में जुटी है, लेकिन वन क्षेत्राधिकारी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है.
वन विभाग का रेंजर 15 दिन से लापता:परिवार वाले पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों से रेंजर हरीश चंद्र पांडे की तलाश के लिए गुहार लगा रहे हैं. लेकिन रेंजर का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. पुलिस सीसीटीवी कैमरे भी खंगाल रही है ताकि हरीश चंद्र पांडे के बारे में कोई सुराग हाथ लग सके. बताया जा रहा है कि एक सीसीटीवी कैमरे में रेंजर को ऑटो में बैठकर काठगोदाम की ओर जाते देखा गया. इसके बाद भीमताल में भी रेंजर हरीश चंद्र पांडे टैक्सी से उतरते हुए सीसीटीवी में देखे गए हैं. इसके बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है.
परिजन पुलिस से रेंजर को ढूंढने की गुहार लगा रहे है. 29 नवंबर से लापता हैं रेंजर हरीश चंद्र पांडे:ऊंचापुल निवासी 55 वर्षीय तराई केंद्रीय वन विभाग में तैनात रेंजर हरीश चंद्र पांडे 29 नवंबर की शाम लापता हो गए थे. काफी ढूंढने के बाद भी उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया है. परिजन उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से भी खोजने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चल सका है. हरीश चंद्र पांडे के लापता होने की मुखानी थाने में गुमशुदगी दर्ज है.
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के रेंजर हरीश चंद्र पांडे 15 दिन से लापता हैं परिजनों ने विभागीय अफसरों पर जताया शक:रेंजर हरीश चंद्र पांडे के परिजन वन विभाग के कुछ अधिकारियों के ऊपर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. परिजन उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि हरीश चंद्र पांडे जिस दिन घर से लापता हुए, उससे तीन-चार दिन पहले से वह काफी परेशान चल रहे थे. इस संबंध में मुखानी पुलिस ने वन विभाग के स्टाफ से भी पूछताछ की है. हरिश्चंद्र पांडे की पत्नी पूर्णिमा पांडे और पुत्र हितार्थ पांडे ने पुलिस प्रशासन से उनको ढूंढने की अपील की है.
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अल्मोड़ा के रहने वाले हैं हरीश चंद्र पांडे:हरीश चंद्र पांडे मूल रूप से अल्मोड़ा जनपद के पांडेखोला गांव के रहने वाले हैं. 1992 में उनका चयन फॉरेस्टर के पद पर हुआ. पिछले कई सालों तक अल्मोड़ा, बिनसर जैती, लमगड़ा के अलावा हल्द्वानी के छकाता में रेंजर पद पर तैनात रहे. 2014 में प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी अल्मोड़ा के रूप में तैनात रहे. जहां 2014 में अल्मोड़ा से उनका ट्रांसफर हल्द्वानी हो गया. हल्द्वानी में 2014 से मकान बनाकर परिवार के साथ रह रहे हैं. 2 साल से तराई केंद्रीय वन प्रभाग में वन क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात हैं.