नैनीतालःआजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. आज भी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण महरूम हैं. इसकी बानगी नैनीताल जिले के दूरस्थ गांव कूकना और ओखलकांडा में देखने को मिल रही है. यहां पर एक युवक की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने कुर्सी की डोली के जरिए 15 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया. उधर, ओखलकांडा में एक वृद्ध को 6 किलोमीटर नदी के रास्ते अपनी जान हथेली पर लेकर ग्रामीण अस्पताल पहुंचे.
सरकार गांवों में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवाई साबित नजर आ रहे हैं. आज भी कई गांव के लोग आजादी के बाद से ही सड़क की बाट जोह रहे हैं. ऐसे में सड़क सुविधा ना होने से ग्रामीण कई किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण पहाड़ी घंने जंगल, नदी-नालों और भूस्खलन वाले मार्गों से आवागमन करने को मजबूर हैं.
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गांवों की बदहाली का एक नमूना तब देखने को मिला, जब नैनीताल के दूरस्थ गांव कूकना में 25 वर्षीय प्रकाश की अचानक तबीयत खराब हो गई. गांव में स्वास्थ्य और सड़क सेवा नहीं होने की वजह से ग्रामीण पहले तो मरीज प्रकाश को 15 किलोमीटर तक कुर्सी की डोली बनाकर सड़क तक पहुंचाया. जिसके बाद प्रकाश को इलाज के लिए गांव से 150 किलोमीटर दूर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए. जिससे प्रकाश का इलाज हो सका.