हल्द्वानीःअपने खून पसीने से हर साल गौला नदी में काम करने वाले मजदूर सरकार को करोड़ों का राजस्व देते हैं. लेकिन नदी में काम करने वाले मजदूरों के लिए बनायी गयी वेलफेयर सोसाइटी और कमेटी इन मजदूरों के काम नहीं आ रही है. मामला 14 मार्च का है. हल्द्वानी के गौला नदी के आंवला खनन निकासी गेट पर अचानक उपखनिज की ढांग गिर जाने से 55 वर्षीय नारायणी देवी और उनकी 14 साल की पोती उपखनिज के चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. नारायणी देवी की इलाज के दौरान मौत हो गई है, जबकि उसकी पोती 14 वर्षीय गुंजा मौत से जिंदगी के लिए लड़ रही है. लेकिन सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह है कि इस मजदूर परिवार को मरहम तक लगाने नहीं पहुंचा.
ऐसे में अब मजदूर परिवार टूट चुका है और सरकार और सिस्टम से सहायता की गुहार लगा रहा है. यही नहीं, सरकारी सिस्टम द्वारा मजदूर परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं की गई है, ना ही इलाज के लिए कोई पैसा उपलब्ध कराया गया है.
वहीं, मजदूर धर्मपाल का कहना है कि उसकी मां की मौत हो चुकी है. जमा पूंजी बच्ची के इलाज में लगा दी है. लेकिन सरकार और उसके सिस्टम का कोई भी व्यक्ति उससे मिलने भी नहीं पहुंचा. मजदूर धर्मपाल का आरोप है कि खनन करने के दौरान अगर उनके परिवार को नियमानुसार मिलने वाला हेलमेट उपलब्ध हुआ होता, तो शायद उसकी मां की जान बच जाती.