नैनीताल: प्रदेश में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री में बिजली देने के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पेश हुए.
बीसीके मिश्रा ने कोर्ट में माना कि प्रदेश में विद्युत विभाग में अनियमितता हो रही है. इस दौरान उन्होंने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर कहा कि प्रदेश भर में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के घरों में एक महीने के भीतर बिजली के मीटर लगा दिए जाएंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो अधिकारी और कर्मचारी एक माह के भीतर घर में मीटर नहीं लगवाएंगे उनकी सैलरी रोक दी जाएगी.
हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट. इसके साथ ही बीसीके मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने चार वर्गों में अधिकारियों और कर्मचारियों को बिजली की यूनिट कम दर देने का फैसला लिया है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और कम दरों पर बिजली देने पर आपत्ति भी जताई.
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एमडी यूपीसीएल ने कहा कि कर्मचारियों और अधिकारियों को कम दामों पर बिजली देने पर बोर्ड बैठक में फैसला लिया जाएगा. जिस पर कोर्ट ने एक महीने का समय दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वह सारी कार्रवाई की रिपोर्ट 6 जनवरी को कोर्ट में पेश करें.
बता दें कि देहरादून के आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर कर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र 400 से 500 और कर्मचारियों के केवल 100 रुपए ले रही है. जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है. जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है. लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव से बिल लिया जाए.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगा है और जहां लगा है वे खराब स्थिति में हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट पेश की थी जिनके घर में आज तक मीटर नहीं लगे और जहां लगे हैं वो खराब है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए एमडी यूपीसीएल को फ्री और कम दरों पर दिए गए बिजली के कनेक्शनों का सत्यापन कर रिपोर्ट पूरे आंकड़ों के साथ एक माह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.