हल्द्वानी:हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है. इस दिन भक्त जल की एक बूंद ग्रहण किये बिना पूरा दिन व्रत रहता है. ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार निर्जला एकादशी 21 जून सोमवार को होगी. साल में आने वाली 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी के अनुसार जो व्यक्ति साल में एक भी एकादशी व्रत न कर सकें, वे केवल निर्जला एकादशी व्रत को करने समस्त व्रतों का फल प्राप्त कर सकता है.
निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व
महाभारत में भगवान कृष्ण ने इस व्रत का विधान महाबली भीमसेन को बताया था. इस बिना जल ग्रहण किये इस व्रत को किया जाता है. दो प्रकार की विधि है. एक सूर्योदय से सूर्यास्त तक दूसरा सूर्योदय से दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना जल के रहना. एकादशी व्रत को व्रतों का राजा माना गया है. एकादशी को जलदान, घटदान और वस्त्र दान करने से विशेष फल मिलता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का यह उत्तम अवसर है.