हल्द्वानी: उत्तराखंड में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ की उत्तराखंड में दूसरी यूनिट हल्द्वानी में स्थापना होने जा रही है. हल्द्वानी के तीनपानी में 23 हेक्टेयर भूमि में एनडीआरएफ यूनिट की स्थापना होनी है, जिसके लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. वहीं, वन विभाग ने इसके लिए भूमि भी उपलब्ध करा दी है. एनडीआरएफ को वनों की क्षतिपूर्ति के तौर पर एक करोड़ 70 लाख 20 हजार रुपए जमा करने हैं. जबकि, भूमि की कीमत के तौर पर दो करोड़ 42 लाख रुपए जमा करने हैं. वन विभाग से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद एनडीआरएफ जल्द काम शुरू करने जा रही है.
वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त दीप चंद्र आर्य ने बताया कि हल्द्वानी के तीन पानी के पास एनडीआरएफ को 23 हेक्टेयर वन भूमि उपलब्ध कराई गई है. जिसकी केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. एनडीआरएफ को वनों की क्षतिपूर्ति और भूमि की कीमत (एनपीपी) उपलब्ध करा दी गई है, अब एनडीआरएफ से पैसा मिलना बाकी रह गया है. विभाग को भुगतान करने के बाद एनडीआरएफ अपना काम शुरू कर सकता है. उन्होंने बताया कि वनों की क्षतिपूर्ति के लिए मिलने वाले बजट से रामनगर वन प्रभाग और तराई पश्चिमी वन प्रभाग में 46 हेक्टेयर में वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा, जिससे कि वनों की क्षतिपूर्ति को रोका जा सके.
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गौरतलब है कि पहाड़ों पर लगातार आपदा के चलते कुमाऊं मंडल में एनडीआरएफ की यूनिट की आवश्यकता को देखते हुए यूनिट स्थापित करने की प्रक्रिया पिछले 2 सालों से चल रही थी. ऐसे में वन विभाग से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद उम्मीदें जताई जा रही है कि कुमाऊं मंडल में एनडीआरएफ की यूनिट की स्थापना हो जाएगी. जो उत्तराखंड में एनडीआरएफ की दूसरी यूनिट होगी.
आपदा तैयारियों को लेकर बैठक:मॉनसून के मद्देनजर जिला अधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल डीएम कैंप कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर आपदा की तैयारियों की चर्चा की. इस दौरान डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के दौरान सबसे ज्यादा संचार व्यवस्था ठप होने की संभावना रहती है, जिससे आपदा की सही जानकारी पता नहीं चल पाती है. ऐसे में विभाग सबसे पहले व्यवस्था को दुरुस्त करें जिससे कि आपदा के दौरान तुरंत व्यवस्था को ठीक किया जा सके. डीएम ने कहा कि सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि तहसील के अंदर बनाए गए आपदा कंट्रोल रूम को मुस्तैद रखे हैं, जिससे कि आपका कि समय पर जानकारी प्राप्त हो सके.
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डीएम ने कहा कि पूर्व में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों तक 3 महीने का राशन पहुंचाने का काम किया गया है. जिससे कि अगर इस बार आपदा आती है तो उन लोगों तक खाद्यान्न की किसी तरह की दिक्कत ना हो. उन्होंने बताया कि 4 दिन पहले जनपद में हुई भारी बरसात से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होने ने कहा कि जनपद में करीब 1243 आंतरिक सड़कें हैं, जो सभी खुली हुई हैं. सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट पर रखा गया है. इसके अलावा जनपद में दो एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई है जिससे कि आपदा के दौरान लोगों तक त्वरित मदद पहुंचाई जा सके. इसके अलावा आपदा प्रभावित क्षेत्रों के अलावा सभी तहसीलों में सेटेलाइट फोन उपलब्ध कराए गए हैं.