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चुनाव लड़ने की इच्छा दिल में लेकर चल बसे रोहित शेखर, नहीं बढ़ा पाये पिता की राजनीतिक विरासत

एनडी तिवारी रोहित शेखर का अचानक 16 अप्रैल को देहांत हो गया है. रोहित के आकस्मिक निधन के बाद जहां उनके घर में शौक का माहौल है. एनडी तिवारी के पुत्र होने के हक पाने के लिए तो रोहित करीब छह साल तक अदालती लड़ाई लड़ते रहे.

ND तिवारी और उनके बेटे रोहित शेखर

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Published : Apr 17, 2019, 10:50 AM IST

हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके ND तिवारी के बेटे रोहित शेखर के निधन से हर कोई स्तब्ध है. अचानक काल के गाल में समा चुके रोहित शेखर की चुनाव लड़ने की इच्छा अधूरी ही रह गई. साल 2017 के चुनाव के दौरान रोहित लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके थे. लेकिन टिकट न मिलने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ पाये.

दरअसल, रोहित शेखर तिवारी लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में अपने पिता एनडी तिवारी के साथ घूम-घूमकर जगह-जगह कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे. वो अपने पिता एनडी तिवारी की उपलब्धियों को गिनाकर अपने लिए चुनाव में सहयोग मांग रहे थे लेकिन कांग्रेस ने ऐन वक्त पर रोहित शेखर तिवारी को टिकट देने से मना कर दिया था. जिसकी वजह से वो चुनाव नहीं लड़ा पाये थे. रोहित के चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें विरोधियों ने नौसिखिया और बच्चा तक कह दिया था.

रोहित तिवारी के चुनाव लड़ने की चर्चा होते ही सियासी गलियारों में हलचल मच गई थी. विरोधियों द्वारा रोहित शेखर तिवारी को नौसिखिया और बच्चा कहने के बाद भी उन्होंने बड़ी शालीनता के साथ अपने विरोधियों को भी जवाब दिया. उन्होंने कहा था कि नौसिखिया और बच्चे को सीखने का मौका मिल रहा है, अब परिवर्तन की जरूरत है.

रोहित शेखर तिवारी को जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर रोहित शेखर तिवारी ने दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी और बीजेपी के लिए प्रचार भी किया. रोहित शेखर तिवारी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए तैयारी में लगे हुए थे जिसके चलते वो अपने पिता के पैतृक जिला नैनीताल में भी समय-समय पर पहुंचकर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेते रहते थे लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था.

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