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क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित करने की UOU की पहल सराहनीय- लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी - कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी

उत्तराखंड मुक्तविश्वविद्यालय राज्य में पहला विश्वविद्यालय होगा जो गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा में पाठ्यक्रम संचालित करेगा. लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने इसको सराहनीय पहल बताया है.

Uttarakhand Open University
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Published : Jun 29, 2021, 10:59 AM IST

हल्द्वानी:उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए जाने वाले क्षेत्रीय भाषाओं के पाठ्यक्रमों के तहत गढ़वाली भाषा में प्रमाण-पत्र कार्यक्रम की विशेषज्ञ समिति की ऑनलाइन बैठक सोमवार को सम्पन्न हुई. बैठक में विशेषज्ञ के तौर पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी उपस्थित रहे.

बैठक में नरेंद्र सिंह नेगी ने मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी की यह अच्छी पहल है. नेगी ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के सरंक्षण व बढ़ावा के लिए उत्तराखंड के लोगों ने जो एक जनांदोलन छेड़ा था आज उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल हो गया है. यह इस प्रदेश की भाषा-संस्कृति के सरंक्षण को लेकर एक शुभ संकेत है.

विशेषज्ञ समिति की ऑनलाइन बैठक.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय राज्य में पहला विश्वविद्यालय होगा जो गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा में पाठ्यक्रम संचालित करेगा, जिसका असर हमारे युवाओं पर पड़ेगा और वो अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ेंगे.

यह बैठक विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा के निदेशक प्रो. एचपी शुक्ल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई. पाठ्यक्रम की सरंचना का प्रस्ताव विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय भाषा समन्वयक डॉ. राकेश रयाल ने समिति के सम्मुख रखा, जिसमे विशेषज्ञों के सुझाव के बाद कुछ संसोधन कर अध्धयन समिति को अग्रसारित किया गया.

6 माह के प्रमाण पत्र कार्यक्रम में कुल 4 प्रश्नपत्र होंगे, जिनमें गढ़वाली भाषा का परिचय, इतिहास, व्याकरण, शब्दावली, पद्य, गद्य एवं गढ़वाल का लोकसाहित्य एवं संस्कृति शामिल किया गया है. कार्यक्रम में प्रवेश की योग्यता 12वीं रखी गई है.

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कार्यक्रम में अध्ययन सामग्री लिखित के साथ साथ ऑडियो-वीडियो में भी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में अगले सत्र से इसमें डिप्लोमा कार्यक्रम भी शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया. बैठक में प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जी के अलावा गढ़वाल के गढ़वाली साहित्य के जाने माने लेखकी बीना बेंजवाल, गणेश खुगशाल, रमाकांत बेंजवाल, गिरीश सुंदरियाल और धर्मेंद्र नेगी शामिल हुए.

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