रामनगर: प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. कुछ मरीज ऐसे भी हैं जो प्लाज्मा के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. वहीं रामनगर के 52 वर्षीय नरेंद्र शर्मा कोरोना के मात देकर दो बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं. नरेंद्र शर्मा का कहना है कि कोरोना से संक्रमित लोग प्लाज्मा के अभाव में भी दम तोड़ रहे हैं, उन लोगों का दर्द समझते हुए वे दो बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं.
नरेंद्र शर्मा ने लोगों से भी प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की है. उनका कहना है कि लाखों लोग हर दिन कोरोना से जंग जीत रहे हैं, ऐसे में प्लाज्मा डोनेट के अभाव में किसी जान नहीं जानी चाहिए.
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प्लाज्मा थेरेपी एक ट्रीटमेंट है जिसमें रिकवर्ड कोरोना संक्रमित मरीज का खून लिया जाता है, ताकि संक्रमित व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी विकसित की जा सकें. प्लाज्मा वे तरल हिस्सा है जिसे खून से हटा दिया जाता है और बाकी बचे व्हाइट ब्लड सेल्स, रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और दूसरे सेल्यूलर कंपोनेंट्स को भी हटा दिया जाता है. खास तौर से, इस प्रक्रिया में, खून वापस शरीर में ट्रांसफर हो जाता है और ब्लड का कोई नुकसान नहीं होता है और प्रोसेस भी हार्मलेस होती है.
- कब दान कर सकते हैं प्लाज्मा ?
कोरोनो संक्रमण के लिए पॉजिटिव टेस्ट किए जाने के तकरीबन 30-40 दिनों बाद कोरोनो संक्रमण से उबर चुका है, वो प्लाज्मा दान कर सकता है. इस दौरान रिकवर्ड संक्रमण वाले शख्स के शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित हो जाते हैं.
- कौन दान कर सकता है प्लाज्मा ?
हर 18 साल से ज्यादा उम्र का शख्स जिसका कम से कम वजन 50 किलो हो, वो प्लाज्मा दान कर सकता है.
- कितनी बार दान कर सकते हैं प्लाज्मा ?
मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक एक साल में 13 बार प्लाज्मा दान किया जा सकता है. हालांकि, कई डॉक्टरों ने कहा कि जो लोग कोरोना संक्रमण से रिकवर हुए हैं, वो हर 14 में प्लाज्मा दान कर सकते हैं.