नैनीताल: 119वें नंदा देवी महोत्सव का श्रीगणेश हो गया है. कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने दीप प्रज्ज्वलित कर नंदा देवी महोत्सव का शुभारंभ किया. कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए जिला प्रशासन एवं पुलिस की देखरेख में 17 सितंबर तक सादगी के साथ धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे.
श्रीराम सेवक सभा के मुताबिक 1926 से सभा आयोजन करती आ रही है. पूजा-अर्चना के बाद सभा पदाधिकारियों का दल कदली वृक्ष लेने के लिए ज्योलीकोट सड़ियाताल क्षेत्र स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर के लिए रवाना हुआ. 12 सितंबर को वृक्ष लेकर दल नैनीताल पहुंचेगा.
तल्लीताल स्थित वैष्णो देवी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद वृक्ष को वाहन से सूखाताल ले जाया जाएगा. सूखाताल में विधिवत पूजा के बाद वृक्ष को नंदा नैना देवी मंदिर लाया जाएगा. 13 सितंबर को मूर्ति निर्माण के बाद अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया जाएगा.
इस वर्ष नंदा-सुनंदा की मूर्तियों के साथ डोले का नगर भ्रमण और विशाल भंडारा नहीं होगा. मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश करने और निकासी के लिए अलग-अलग गेटों की व्यवस्था की गई है. मंदिर के भीतर पंडितों के पाठ कराने पर भी प्रतिबंध रहेगा. श्रद्धालु मां नंदा-सुनंदा के दर्शन के बाद पिछले गेट से बाहर जा सकेंगे.
नंदा देवी महोत्सव पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है. कदली के पेड़ से ही मूर्ति निर्माण होता है, फिर उसे महोत्सव समापन पर झील में विसर्जित किया जाता है. 1955-56 तक मूर्तियों का निर्माण चांदी से होता था. फिर परंपरागत मूर्तियां बनने लगीं. मूर्ति निर्माण में कदली के पेड़ का तना, कपड़ा, रुई और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है.