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नैनीताल का रामगढ़ बना हॉर्टी टूरिज्म सेक्टर, 8 एकड़ भूमि पर लहलहा रही सेब की फसल

राजकीय उद्यान रामगढ़ की 8 एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ कर एप्पल ऑर्चर्ड व क्लोनल रूट स्टॉक नर्सरी बनाया गया है. इसमें 2100 उच्च घनत्व सेब के मातृ वृक्ष लगाए गए हैं. इसके अलावा क्लोनल रूट स्टॉक नर्सरी के 6240 सेब के पौधों से कृषकों हेतु उच्च घनत्व के सेब के पौधे बनाए गए हैं.

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Published : Aug 9, 2022, 9:06 PM IST

नैनीतालःजिले का रामगढ़ शहर हॉर्टी टूरिज्म (hotty tourism) का सपना साकार कर रहा है. जिला योजना से हॉर्टी टूरिज्म को प्रोमोट करने के लिए राज्य का यह पहला प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जिला योजना से प्रथम चरण में राजकीय उद्यान रामगढ़ की 8 एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ कर एप्पल ऑर्चर्ड (Apple Orchard) व क्लोनल रूट स्टॉक नर्सरी (clonal root stock nursery) का विकास किया गया.

इसके अंतर्गत 2100 उच्च घनत्व सेब के मातृ वृक्ष लगाए गए हैं. इनसे उत्पादन भी होने लग गया है. साथ ही रोपित की गई क्लोनल रूट स्टॉक नर्सरी के 6240 सेब के पौधों से कृषकों हेतु उच्च घनत्व के सेब के पौधे बनाए गए हैं. उद्यान में रोपे गए मातृ वृक्ष में उच्च कोटि की प्रजातियां हैं. इसमें रेड डिलिशियस, ग्रैनी स्मिथ एवं गाला शिंजिको रेड प्रजातियों पर फोकस किया गया है. इसी प्रोजेक्ट के द्वितीय चरण में कॉटेज, कैफे व काश्तकारों के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनाए जा रहा है.

जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि जिला योजना से रामगढ़ में हॉर्टी टूरिज्म को प्रोमोट करने के लिए कार्य किया जा रहा है. रामगढ़ का सरकारी ऑर्चर्ड पूरे राज्य में ही नहीं, अपितु अन्य राज्यों के लिए भी विकास का मॉडल बनेगा. रामगढ़ की रूट स्टॉक नर्सरी से काश्तकारों को कम लागत में उच्च घनत्व के पौध भी उपलब्ध कराए जाएंगे. जिले के अन्य राजकीय उद्यान में भी यह मॉडल लागू किया जाएगा. जिलाधिकारी ने कहा कि हॉर्टी टूरिज्म प्रोजेक्ट में उद्यान विभाग द्वारा पूरी तन्मयता से कार्य किया गया, जिसका परिणाम है कि आज रामगढ़ राज्य का पहला हॉर्टी टूरिज्म का केंद्र है.
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प्रोजेक्ट का उद्देश्यःनवीनतम प्रजातियों के समवेश, क्लोनल रूट स्टॉक आधारित ऐपल फार्मिंग को बढ़ावा देना, हॉर्टी टूरिज्म को बढ़ावा देना, दूसरे ही वर्ष से प्रति पेड़ से 3 से 5 किलो उत्पादन प्राप्त होता है. इसके साथ ही उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाना है. उच्च घनत्व पौधों का आकार छोटा होने के कारण पौधों की कटाई, छटाई, तुड़ाई के साथ साथ-साथ स्प्रे आदि करना भी आसान हो जाता है. इससे फल उत्पादन का खर्चा घट जाता है. पौधों का आकार छोटे होने के कारण सूर्य की किरणें पौधें की गहराई तक जाती हैं. इससे अधिकतम प्रकाश संश्लेषण होता है जोकि फलों की गुणवता को बढ़ाता है.

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