नैनीताल:उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश की खनन नीति, अवैध खनन, बिना पीसीबी के अनुमति के संचालित स्टोन क्रशरों व आबादी क्षेत्रों में संचालित स्टोन क्रशरों के खिलाफ 35 से अधिक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. वहीं, कोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद सरकार को 25 फरवरी तक यह बताने को कहा गया है कि कितनी जनहित याचिकाओं में नई माइनिंग पॉलिसी और कितनी जनहित याचिकाओं में पुरानी माइनिंग पॉलिसी को चुनौती दी गई है.
बता दें कि इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई. आज सुनवाई की दौरान सरकार की तरफ से नियुक्त स्पेशल काउंसिल वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने कोर्ट को बताया कि अधिकतर जनहित याचिकाओं में पुरानी माइनिंग पॉलिसी को चुनौती दी गई है. जबकि, सरकार ने नई माइनिंग पॉलिसी को लागू कर दिया है. इसलिए ये जनहित याचिकाएँ निरस्त होने योग्य है.
इस मामले के अनुसार बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा साह, त्रिलोक चन्द्र, जयप्रकाश नौटियाल, आनंद सिंह नेगी, वर्धमान स्टोन क्रशर, शिव शक्ति स्टोन क्रशर, बलविंदर सिंह, सुनील मेहरा, गुरमुख स्टोन क्रशर सहित अन्य 29 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की है. ये याचिकाएं विभिन्न बिंदुओं को लेकर दायर की गई है. कुछ याचिकाओं में प्रदेश की खनन नीति को चुनौती दी गयी है.