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बलिया नाला भूस्खलन मामला: HC ने दिखाई सख्ती, नैनीताल DM को पेश करनी होगी विस्तृत रिपोर्ट - नैनीताल में भू धंसाव

Baliya Nala Landslide मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में कोर्ट ने नैनीताल डीएम से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. जिसमें पूछा है कि बलिया नाले के ट्रीटमेंट के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए? Nainital Ballia Nala landslide

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 4, 2023, 6:46 PM IST

नैनीतालःउत्तराखंड के नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलिया नाले में भूस्खलन मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नैनीताल डीएम से भूस्खलन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के साथ ट्रीटमेंट के लिए उनकी ओर से अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? इसकी विस्तृत रिपोर्ट 10 दिनों के भीतर पेश करने को कहा है.

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने यह तथ्य भी लाया गया कि बलिया नाला भूस्खलन क्षेत्र का अब तक कई बार मंत्री, अधिकारी निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन किसी ने भू धंसाव को रोकने को लेकर कोई उपाय नहीं किया. अधिकारी भी बरसात के दौरान सक्रिय नजर आते हैं, जैसे ही बरसात खत्म हो जाती है, वैसे ही बलिया नाला का मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. अब इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होगी.
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दरअसल, नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने साल 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन से शहर और इसके आस पास रह रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है. नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमें हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाए. ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके.

साल 1880 में मच चुकी है तबाहीःनैनीताल के नैनी पीक पर 80 के दशक में भयानक भूस्खलन हुआ था. जिसमें 150 से ज्यादा भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों की मौत हो गई थी. जिसके बाद ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल के अस्तित्व को बचाने के लिए कई प्रयास किए. जो कुछ हद तक सफल भी रहा है, लेकिन नैनीताल शहर के चारों तरफ की पहाड़ियों में लगातार भू धंसाव और भूस्खलन देखने को मिल रहा है. जो किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं. खासकर बलिया नाला क्षेत्र से खतरा ज्यादा है.
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बलिया नाला क्षेत्र में लगातार भूस्खलन हो रहा है. जिसे रोकने के लिए राज्य सरकार सालों से कार्य योजना तो बना रही है, लेकिन आज तक धरातल पर कोई ठोस समाधान नहीं निकाल सकी है. यही वजह है कि हर साल बरसात के सीजन में भू धंसाव और भूस्खलन लोगों की सांसें अटका देती है. तमाम वैज्ञानिक इसका अध्ययन भी कर चुके हैं, लेकिन ठोस समाधान नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, सरकार बलिया नाले के ट्रीटमेंट के लिए बजट भी स्वीकृत कर चुकी है.

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