नैनीताल: हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष (NSUI former district president rape case) तरुण साह पर दुष्कर्म करने के मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने पूर्व जिलाध्यक्ष की अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है. आज सुनवाई के दौरान पीड़िता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि आरोपी की पूर्व में गिरफ्तारी पर रोक लगी थी, उसके बाद वो पीड़िता को डराया धमकाया करता रहा. अभियुक्त ने अपनी गिरफ्तारी रोकने के आदेश का गलत इस्तेमाल किया है.
क्या है पूरा मामला:पीड़िता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि, अभियुक्त का परिवार राजनीतिक पार्टी से संबंध रखता है. वो बार-बार पीड़िता को थाने में बुलाकर केस वापस लेने का दवाब बनाता रहा. उसने पीड़िता के साथ कई बार संबंध बनाए. जब उसने मना किया तो उसका मानसिक और शारीरिक शोषण करना शुरू कर दिया. पुलिस द्वारा पीड़िता का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. एसएसपी को शिकायत करने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. इसमें पुलिस की घोर लापरवाही भी रही है. पीड़िता ने बताया कि, आरोपी के पास पिस्टल है, उसको लेकर अक्सर अभियुक्त अपने साथियों के साथ उसका पीछा करने व घर जाकर धमकी देता रहा.
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इससे पहले, मंगलवार (19 जुलाई) को हुई सुनवाई में पीड़िता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि उसने डीजीपी अशोक कुमार को 13 पेज का शिकायती पत्र भेजा था, जिसमें उसने बताया था कि बीती 26 अप्रैल को वह एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत लेकर तत्कालीन मुखानी एसएचओ के पास गई थी. वहां उसकी कोई मदद तो नहीं हुई बल्कि साह पर कार्रवाई करने के लिए एसएचओ दीपक बिष्ट ने उससे जबरन संबंध बनाने को कहा और साथ ही ₹5 लाख रुपये भी मांगे. इस खुलासे के बाद कोर्ट ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी.