नैनीताल:उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केजरीवाल मुफ्त बिजली गारंटी कार्ड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपना प्रत्यावेदन निर्वाचन आयोग और भारत सरकार के समक्ष करने का आदेश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.
सुनवाई के समय चुनाव आयोग और भारत सरकार के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने किसी पार्टी को पक्षकार नहीं बनाया है. उन्होंने आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल को पक्षकार बनाया है. इसलिए इसमें चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है और न ही याचिकाकर्ता ने इस संबंध में चुनाव आयोग को कोई अपना प्रत्यावेदन दिया है. चुनाव आयोग का कार्य आचार संहिता लागू होने के बाद शुरू हो होता है.
आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि पार्टी जनता के हित को देखते हुए यह कार्य करना चाहती है. ऐसे ही मामले पहले भी सुप्रीम कोर्ट से निस्तारित हो चुके हैं. दिल्ली व पंजाब में भी पार्टी ने बिजली, पानी और शिक्षा को लेकर चुनाव लड़ा है. यह पार्टी का अधिकार है.
क्यों दी गई याचिका:मामले के अनुसार देहरादून के विकासनगर निवासी संजय जैन (उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य) ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि आम आदमी पार्टी के सीएम कैंडिडेट कर्नल अजय कोठियाल ने उत्तराखंड की जनता को उनकी सरकार आने पर फ्री में 300 यूनिट बिजली देने का गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है. इसमें शर्त रखी है कि पहले उन्हें पार्टी द्वारा जारी मोबाइल नंबर पर मिस्ड कॉल करना है, फिर उन्हें 300 यूनिट बिजली का गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है. यह कार्ड सदस्यों को संभाल के रखना है, तभी उनको सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी.
पढ़ें- दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल का काशीपुर टला, अब 14 दिसंबर को आएंगे
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है AAP द्वारा लिखित में रजिस्ट्रेशन कराना पूरी तरह असंवैधानिक है. आम आदमी पार्टी द्वारा 300 यूनिट फ्री में देने का कोई लिखित पत्र सरकार को नहीं दिया है और न ही इनकी सरकार है. इस तरह के गारंटी कार्ड भराना लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 123 के विरुद्ध है. यह कृत्य भ्रष्ट आचरण के श्रेणी में आता है. यह आचरण जनता को गुमराह करने वाला है. इस पर आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रोक लगाई जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में आदर्श आचार संहिता कमीशन बनाने के आदेश दिए थे. याचिकाकर्ता यह भी कहना है कि वे इसका विरोध नहीं करते हैं लेकिन बिना सरकार के गारंटी कार्ड देना जनता के साथ घोखा है. यह तो सरकार का काम है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग, भारत सरकार, चुनाव आयोग उत्तराखंड, आम आदमी के अजय कोठियाल को पक्षकार बनाया है.