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उत्तराखंड में शराबबंदी को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार से सवाल पूछा. कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद बीते 18 सालों में कब-कब शराबबंदी लागू की गई. जिसे लेकर कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र पेश कर जवाब देने के आदेश दिए हैं. उधर, सरकार ने मामले पर जवाब देने के लिए कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा है.

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Published : May 3, 2019, 11:38 PM IST

उत्तराखंड में शराबबंदी

नैनीतालः प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध मामले को लेकर हाई कोर्ट सख्त हो गया है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते के भीतर शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही तय समय में मामले पर जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद कब-कब शराबबंदी की गई. वहीं, अब मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी.

बता दें कि गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने प्रदेश में शराब के बढ़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत समेत हो रही बीमारियों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है. जिसका पालन नहीं हो रहा है. जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, मंदिरों के आस-पास शराब की दुकानें खुली हुईं हैं. शराब की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं और कई परिवार बर्बाद हो गए हैं. लिहाजा शराब पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए.

जानकारी देते याचिकाकर्ता डीके जोशी.

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याचिकाकर्ता ने शराब से हुए राजस्व आय को समाज कल्याण में लगाने की भी मांग की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार शराब बिक्री से दो प्रतिशत सेस लेती है. जिसे शराब से हुए नुकसान के मामलों में ही खर्च किया जाना चाहिए.

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार से जवाब मांगा. कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद बीते 18 सालों में कब-कब शराबबंदी लागू की गई. जिसे लेकर कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र पेश कर जवाब देने के आदेश दिए हैं. उधर, सरकार ने मामले पर जवाब देने के लिए कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा है.

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