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रुड़की में बिना टेंडर दुकान आवंटन की सुनवाई, HC ने 2 हफ्ते में मांगा जवाब

रुड़की नगर निगम के तत्कालीन मेयर द्वारा बिना टेंडर के अपने चहेतों को दुकानें आवंटित करने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों को दो हफ्ते के भीतर अपने-अपने जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Sep 6, 2021, 6:12 PM IST

नैनीतालः हाईकोर्ट ने रुड़की नगर निगम की ओर से दुकानों को बिना टेंडर के अपने ही लोगों को आवंटित करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में सभी पक्षकारों को दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से बताया गया कि उन्होंने आवंटित दुकानों को सील कर दिया है.

बता दें कि रुड़की निवासी आशीष सैनी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि नगर निगम रुड़की ने निगम की भूमि पर साल 2011 से 2013 के बीच 24 दुकानें बनाई थीं. इन दुकानों को तत्कालीन मेयर ने बिना किसी विज्ञप्ति के अपने ही लोगों को एलॉट कर दिया. बाद में दुकानों के छतों का अधिकार भी उन्हीं लोगों को दे दिया.

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वहीं, मामले को लेकर साल 2015 में तत्कालीन मेयर की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसमें कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. जबकि, रिपोर्ट में जांच सही पाई गई. इस आदेश को दुकानदारों ने खंडपीठ में चुनौती दी. जिसे खंडपीठ ने खारिज कर सचिव शहरी विकास को निर्देश दिए थे कि दुकानों को खाली कराने को लेकर अंतिम निर्णय लें और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें.

वहीं, कोर्ट के आदेश पर सचिव शहरी विकास ने दुकानों के एलॉटमेंट को निरस्त कर दिया. साथ में यह भी कहा कि ये एलॉटमेंट गलत तरीके से किए गए थे. इसके बाद खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश को सही मानते हुए उनको 2020 तक दुकानें खाली करने का समय दिया था.

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मामले को लेकर आज वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. जिसमें नगर निगम की ओर से बताया गया कि उन्होंने आवंटित दुकानों को सील कर दिया है. वहीं, मुख्य नगर आयुक्त के ट्रांफसर पर सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनकी यह नियुक्ति 2019 की ट्रांसफर नियमावली के तहत की गई है, जो 2019 की नियमावली में यह प्रावधान है.

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