नैनीतालःउत्तराखंड हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के हिंदी, शारीरिक शिक्षा और सामान्य विषय की अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से जारी उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली 30 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. ऐसे में अब इन विषयों का परीक्षा परिणाम घोषित होने का रास्ता साफ हो गया है. इससे पहले कोर्ट ने इनके परीक्षा परिणाम पर रोक लगाई थी. इन याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.
गौर हो कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) ने बीती 13 अक्टूबर 2020 को सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड के हिंदी, शारीरिक शिक्षा व सामान्य विषय में भर्ती के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी. लिखित परीक्षा (वस्तुनिष्ठ) के बाद प्रथम उत्तर कुंजी (Answer Key) जारी कर उनमें आपत्तियां मांगी गई. इन आपत्तियों को तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा गया. विशेषज्ञ समिति की संस्तुति के बाद नई उत्तर कुंजी जारी हुई. जिसमें पहली बार जारी हुई उत्तर कुंजी के कुछ सवालों के उत्तर परिवर्तित हुए.
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30 अभ्यर्थियों ने आंसर की में सही जवाबों को गलत दर्शाने की कही थी बातःदूसरी बार जारी हुई उत्तर कुंजी को चुनौती देते हुए सुनीता समेत 30 अन्य अभ्यर्थियों ने कहा कि दूसरी उत्तर कुंजी में उनके कई सही जवाबों को गलत दर्शा दिया गया है. जिससे उनके हित प्रभावित हुए हैं. लिहाजा, प्रथम उत्तर कुंजी (LT Teacher Recruitment Answer Key) के आधार पर ही परीक्षा परिणाम जारी किए जाने के आदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दिए जाएं.
UKSSSC ने कही ये बातःदूसरी ओर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कोर्ट को बताया गया कि आयोग की ओर से पहली बार उत्तर कुंजी जारी कर उसमें अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी जाती हैं और इन आपत्तियों का समाधान तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति से कराया जाता है. जिसके बाद अंतिम उत्तर कुंजी जारी होती है. इसलिए विशेषज्ञ समिति के निर्णय को गलत ठहराना उचित नहीं है. इस संबंध में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेशों को भी हाईकोर्ट के समक्ष रखा. इन तर्कों के बाद हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं खारिज कर दी.
एक अन्य याचिका जय लक्ष्मी राणा समेत एक अन्य के मामले में प्रश्न पुस्तिका सीरीज 'बी' के प्रश्न 30 और प्रश्न पुस्तिका सीरीज 'ए' के प्रश्न संख्या 15 को पुनः तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखने के निर्देश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दिए गए. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से मामले की पैरवी पंकज पुरोहित व ललित सामंत जबकि सरकार की ओर से वीरेंद्र रावत की.