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कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के कटान पर HC की तल्ख टिप्पणी, कहा- क्यों न CBI जांच कराई जाए

Corbett National Park Tree Cutting नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटान पर सख्त रुख अपनाया है. मामले में कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी है कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराएं. साथ ही मामले में सरकार से एक सितंबर तक जवाब मांगा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Aug 21, 2023, 9:13 PM IST

नैनीतालः कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान के मामले को लेकर दायर अनु पंत की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने मामले में सख्त लहजे में सरकार से पूछा है कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए. अब मामले की सुनवाई आगामी एक सितंबर को होगी.

बता दें कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के कटान का मामला सुर्खियों में है. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मुख्य सचिव की ओर से जो जवाब पेश किया गया है, वो गुमराह करने वाला है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले में सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है. शपथपत्र में इसका कोई उल्लेख नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से ये भी कहा गया कि सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी, एनजीटी और राज्य के ऑडिटर जनरल की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर उंगली उठाई गई है.
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रिपोर्ट में आरोप लगाते हुए कहा गया कि तत्कालीन वन मंत्री ने नियम विरुद्ध कॉर्बेट के कालागढ़ में डीएफओ किशन चंद की तैनाती की. जहां जमकर अवैध निर्माण हुआ. इतना ही नहीं करीब 6000 पेड़ों का पातन किया गया. याचिकाकर्ता के मुताबकि, कालागढ़ में जनरेटर सेट भी लगाए गए.

वहीं, मामले में सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने राजनीति द्वेष के चलते याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पूर्व राजीव भरतरी के अधिक्ता रह चुके हैं. सरकार की ओर से ये भी कहा गया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

हाईकोर्ट ने पूछा क्यों न पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई कराई जाएःआखिर में कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सरकार से पूछा कि क्यों न पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए. साथ ही सरकार इस मामले में एक सितंबर तक जवाब पेश करें.

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