नैनीतालःउत्तराखंड के चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्थाओं और घोड़े खच्चरों की मौत मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका में उठाए गए कुछ समस्याओं के निस्तारण के लिए सरकार व याचिकाकर्ताओं से सहमति पत्र पेश करने को कहा है.
वहीं, दोनों के बीच कई समस्याओं के निस्तारण के लिए आपसी सहमति बनी, जिसमें मुख्यतः घोड़े और खच्चरों से रात के समय में काम नहीं लिया जाएगा. घोड़ों व खच्चरों से उनकी क्षमता के अनुसार ही भार लादा जाएगा. एक दिन में एक ही चक्कर लगवाया जाएगा. प्रत्येक दिन यात्रा शुरू करने से पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा.
गर्म पानी, रहने की व्यवस्था और वेटनरी स्टाफ की व्यवस्था पर सहमति बनी. जबकि, कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बनी, जिसमें उनकी संख्या निर्धारण, इंश्योरेंस रद्द करने, केंद्र सरकार की एसओपी समेत अन्य मुद्दे शामिल रहे. आज सुनवाई के दौरान पशुपालन सचिव और रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी समेत कई अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए.
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दरअसल, समाजसेवी गौरी मौलेखी और अजय गौतम ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई. जिससे उस इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है. याचिका में कहा गया है कि जानवरों और इंसानों की सुरक्षा के साथ उनको चिकित्सा सुविधा दी जाए.
इसके अलावा याचिका में कहा है कि चारधाम यात्रा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. जिससे जानवरों और इंसानों को खाने रहने की समस्या आ रही है. कोर्ट से मांग की गई है कि यात्रा में कैरिंग कैपेसिटी के हिसाब से ही श्रद्धालुओं और घोड़े व खच्चरों को भेजा जाए. उतने ही लोगों को अनुमति दी जाए, जिससे लोगों को खाने पीने रहने की सुविधा मिल सके. जानवरों पर अत्याचार न किया जाए.