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प्रेमी जोड़े की शिकायत पर पुलिस दर्ज करेगी तुरंत मुकदमा, हाईकोर्ट ने DGP को दिए आदेश - प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग

नैनीताल हाईकोर्ट में प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा मुहैया कराने के मामले में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट का कहना है कि पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन ठीक ढंग नहीं कर रही है. ऐसे में प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंच रहे हैं. वहीं, कोर्ट ने किसी भी प्रेमी जोड़े की शिकायत पर तत्काल मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Nov 25, 2021, 4:32 PM IST

नैनीतालःप्रेमी जोड़ों (couple) को सुरक्षा मुहैया कराने से संबंधित मामले में नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) को निर्देश दिए हैं कि अगर इन जोड़ों को उनके परिवार या अन्य किसी संघ, समुदाय, जाति धर्म के लोगों से खतरा उत्पन्न हो रहा है या फिर पुलिस में शिकायत कर सकते हैं तो पुलिस बिना देरी किए उन लोगों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज करें. वहीं, हाईकोर्ट ने उत्तराखंड डीजीपी को इस संबंध में प्रदेश के सभी थानों के लिए एक सर्कुलर जारी करने को कहा है.

दरअसल, यह आदेश हाईकोर्ट ने नैनीताल की एक विवादित संपत्ति (disputed property) के मामले में 17 नवंबर को दिया था. जिसमे पुलिस की ओर एक पक्ष की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया, लेकिन दूसरे पक्ष की शिकायत पर नहीं की. जब यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा तो हाईकोर्ट ने कोतवाली मल्लीताल के कोतवाल को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए.

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उधर, कोतवाल आदेश के बाद भी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए और अपना मोबाइल नॉट रिचेबल कर दिया. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए डीजीपी को कोर्ट में पेश होने को कहा. जिसके बाद डीजीपी मामले को लेकर कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह पुलिस (Police) की लापरवाही है. इसी लापरवाही के चलते उन्होंने कोतवाल को निलंबित कर दिया है.

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वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन ठीक ढंग नहीं कर रही है. जिसके परिणाम स्वरूप प्रेमी जोड़े आए दिन उच्च न्यायलय में सुरक्षा दिलाए जाने से संबंधित याचिकाएं दायर कर रहे हैं. जबकि, याचिकाएं दायर करने से पहले उनकी ओर से सुरक्षा के लिए एसएसपी और संबंधित थानों को प्रार्थना पत्र दिया जाता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही उन्हें सुरक्षा दी जाती है. ऐसे वादों को थानों से निपटाया जा सकता है.

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