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नैनीताल HC ने वनाधिकारियों को दी राहत, पूर्व डीजीपी सिद्धू को नोटिस जारी

नैनीताल हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीएफओ मसूरी सहित तीन अन्य वनाधिकारियों के खिलाफ निचली अदालत से जारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. जिसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से जारी समन पर रोक लगाते हुए वनाधिकारियों को बड़ी राहत दी है. साथ ही इस मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.

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Published : Nov 15, 2022, 6:23 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीएफओ मसूरी सहित तीन अन्य वनाधिकरियों के खिलाफ निचली अदालत से जारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने निचली अदालत से जारी समन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार एवं पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. वहीं, अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी.

नैनीताल हाईकोर्ट के निचली अदालत के समन आदेश पर रोक लगने से इन चारों अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है. मामले के अनुसार मसूरी के पूर्व डीएफओ धीरज पांडेय, वीरेंद्र दत्त जोशी, प्रसाद सकलानी एवं जगमोहन रावत ने निचली अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2022 को जारी समन आदेश को चुनौती दी थी.

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याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व डीजीपी द्वारा बदले व दवाब डालने के बहाने चारों के खिलाफ 9 जुलाई 2013 को मुकदमा दर्ज किया गया. निचली अदालत में यह मामला अब सुनवाई पर आया, जिसमें निचली अदालत ने 21 अक्टूबर को उनको समन भेजा जबकि, पूर्व डीजीपी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिजर्व फॉरेस्ट की 7450 वर्ग मीटर भूमि 20 नंवबर 2012 को खरीद कर आरक्षित पेड़ों का कटान भी किया.

वहीं, इस पर डीएफओ द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. इसी बदले की भावना को लेकर पूर्व डीजीपी द्वारा उनके ऊपर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि यह मुकदमा बदले की भावना को लेकर दायर किया गया है. पूर्व डीजीपी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेड़ काटने के मामले में जुर्माना भी लगाया है. साथ ही इस मुकदमे में इन अधिकारियों को झूठा फंसाया गया है.

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