नैनीताल:सरोवर नगरी नैनीताल के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुके बलियानाले का अब 170 करोड़ की लागत से स्थाई उपचार शुरू होगा. नाले के उपचार के लिए 20 दिसंबर को टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस संबंध में सिंचाई विभाग के सचिव हरीश सेमवाल, हाईकोर्ट के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह समेत सिंचाई विभाग के तमाम अधिकारियों ने बलिया नाला क्षेत्र का गहनता से निरीक्षण किया.
बलियानाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन का मामला गंभीर:महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर ने बताया कि बलियानाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन का मामला बेहद गंभीर है. ऐसे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जल्द से जल्द बलियानाले का स्थाई उपचार करने के निर्देश दिए थे, ताकि नैनीताल के अस्तित्व को बचाया जा सके. जिसके तहत सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ क्षेत्र का निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि आने वाले 100 सालों तक बलिया नाले को सुरक्षित रखे जाने की कार्य योजना बना सके. इसके अलावा आलूखेत क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाई जाएगी.
20 दिसंबर को खोले जाएंगे टेंडर:सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ला ने बताया कि बालियानाले में कार्य को लेकर 20 दिसंबर को टेंडर खोले जाएंगे. जिसके बाद जनवरी से नाले का काम शुरू होगा. हालांकि शिक्षा विभाग से अनापत्ति पत्र न मिलने के चलते अस्थाई सड़क निर्माण और स्कूल के कुछ हिस्से को तोड़ने में अब दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
200 मीटर का क्षेत्र खाई में समा चुका:बता दें कि बलिया नाले के अस्तित्व पर 80 के दशक से लगातार खतरा बढ़ रहा है. भूस्खलन से करीब 200 मीटर का क्षेत्र अब तक खाई में समा चुका है. क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते 100 से अधिक परिवार अपने आशियाने को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा चुके हैं. निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने बताया कि बलियानाला के कार्य के दौरान हरी नगर क्षेत्र से 80 परिवारों को दूसरे स्थान पर विस्थापित किया जाएगा, इसके लिए कार्य योजना बन चुकी है.
बलियानाले के लिए 170 करोड़ रुपए का बजट जारी:80 के दशक से बलिया नाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन के स्थाई निर्माण को लेकर राज्य सरकार अब गंभीर है. बालियानाले के स्थाई उपचार को लेकर राज्य सरकार ने करीब 170 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है, ताकि नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले बलियानाले का स्थाई उपचार हो सके. जिसको लेकर सिंचाई विभाग ने पुणे की कंपनी जेंट्स टू के माध्यम से डीपीआर बनाई है. डीपीआर के आधार पर बलिया नाले का दो चरण में काम किया जाना है. प्रथम चरण में बलियानाले के हरी नगर क्षेत्र में रह रहे लोगों को विस्थापित किया जाना है, ताकि बलियानाले का स्थाई उपचार हो सके. ऐसे में विस्थापन से पहले ही क्षेत्रीय लोगों ने विस्थापन का विरोध करना शुरू कर दिया है.