उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कम नहीं हुई पलायन की रफ्तार, 10 साल में पांच लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा घरबार - Village development and migration commission

उत्तराखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या रही है. हालांकि लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड में लाखों प्रवासियों की वापसी हुई. लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. पिछले 10 सालों में उत्तराखंड से 5,02,707 लोगों ने पलायन किया है.

etv bharat
पलायन

By

Published : Jan 15, 2021, 2:29 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 4:10 PM IST

हल्द्वानी:उत्तराखंड राज्य का गठन हुए 20 साल हो चुके हैं.कोई भी सरकार यहां से पलायन रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है. जिसके चलते लगातार पहाड़ के लोग पलायन करने को मजबूर हैं और गांव के गांव खाली हो जा रहे हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 10 सालों में उत्तराखंड से 5,02,707 लोगों ने पलायन किया है.

10 साल में पांच लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा घरबार
ग्राम विकास एवं पलायन आयोग उत्तराखंड से आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 10 सालों में प्रदेश के 6,338 ग्राम पंचायतों से 1,18,961 लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं. ये लोग अपनी जमीन और घर को बेचकर यहां से जा चुके हैं. इसके अलावा 3,83,726 लोग ऐसे हैं, जो यहां से पलायन कर रोजगार और कारोबार के क्षेत्र में अन्य प्रदेशों में जा चुके हैं, जिनका समय पर आना जाना लगा रहता है. इसके अलावा प्रदेश की 3,946 ग्राम पंचायत ऐसी हैं जहां के लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं और अपनी जमीन को बेच चुके हैं, या घरों में ताले लटके हुए हैं और भूमि बंजर पड़ी हुई है.

जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा टिहरी गढ़वाल के 934 गांवों के लोग रोजगार के लिए पलायन किए हैं. इसमें 71,500 लोग शामिल हैं जबकि 18,330 लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं. अल्मोड़ा जनपद के 1,022 गांवों के 53,611 लोग रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं. 16,207 लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं. इसके अलावा पौड़ी गढ़वाल से 1,025 गांवों के 47,488 लोग रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं जबकि 25,584 लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं. उत्तरकाशी के 376 गांवों के 19,893 लोग रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं. जबकि 2,727 लोग पूर्ण रूप से पलायन कर चुके हैं. चमोली जनपद के 556 गांवों के 32,000 लोग रोजगार के लिए घर छोड़ चुके हैं. 14,290 लोग पूर्ण रूप से गांव छोड़ चुके हैं. रुद्रप्रयाग के 316 गांवों के 22,735 लोग रोजगार के लिए बाहर गए हुए हैं जबकि 7,835 लोग पूर्ण रूप से गांव छोड़ चुके हैं. देहरादून के 231 गांवों के 25,781 लोग रोजगार के लिए घर छोड़ चुके हैं. 2,802 लोग पूर्ण रूप से घर छोड़ चुके हैं.

ये भी पढ़ें :कॉर्बेट पार्क में जल्द नजर आंएगे अफ्रीकी टाइगर, पर्यटन मंत्री ने एमपी CM को लिखा पत्र

पिथौरागढ़ के 589 गांवों के 31,786 लोग रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं जबकि 9,883 लोग घर छोड़ चुके हैं. बागेश्वर के 346 गांवों के 23,388 लोग रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं. 5,912 लोग गांव छोड़ कर जा चुके हैं. चंपावत जनपद के 304 गांवों के 20,332 लोग रोजगार के लिए बाहर गए हुए हैं, जबकि 7,886 लोग गांव छोड़ कर जा चुके हैं. नैनीताल जनपद के 340 गांव के 20,951 लोग रोजगार के लिए पलायन कर गए हैं जबकि 4,823 लोग पूर्ण रूप से गांव छोड़ चुके हैं. उधम सिंह नगर की करें तो 147 गांवों के 6,064 लोग रोजगार के लिए बाहर गए हैं जबकि 952 लोग पूर्ण रूप से गांव छोड़ चुके हैं. हरिद्वार के 153 गांवों के 8,061 लोग रोजगार के लिए बाहर गए हैं जबकि 1,251 लोग गांव छोड़कर जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें :उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी में हुए रिकॉर्ड तोड़ एडमिशन

जानकारी के मुताबिक ग्राम विकास एवं पलायन आयोग के गठन वर्ष 2017-18 से 2020 तक 42 करोड़ 45 लाख 45 हजार रुपए शासन द्वारा आवंटित किए गए हैं. जिसके सापेक्ष में नवंबर माह तक 20 करोड़ 58 लाख ₹7000 खर्च किए गए हैं. इसके अलावा पलायन रिपोर्ट के सर्वे के खर्च के नाम पर 86 लाख ₹27 खर्च किए जा चुके हैं.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि उत्तराखंड बने हुए 20 साल हो चुके हैं. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा पलायन रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. पहाड़ से लोग लगातार पलायन कर रहे हैं. सरकार पहाड़ों पर लोगों को चिकित्सा स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही है. इसके चलते लोग पलायन करने को मजबूर है. हेमंत गोनिया का कहना है कि उत्तराखंड से लगातार पलायन होना गंभीर विषय है. इसी तरह से पलायन होता रहा तो एक दिन पहाड़ पूरी तरह से खाली हो जाएंगे.

Last Updated : Jan 15, 2021, 4:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details