उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कुमाऊं की ऐपण लोककला का मुरीद हुआ मिनिस्ट्री ऑफ लेबर, दिया 300 बैग का ऑर्डर

ऐपण कला के जरिए अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने उत्तराखंड की महिला सहायता समूह को ऐपण कला से निर्मित जूट के 300 बैग बनाने के ऑर्डर दिए हैं. कुमाऊं की ऐपण लोककला अब भारत सरकार के कार्यालयों में नजर आएगी.

Haldwani
हल्द्ववानी

By

Published : Mar 5, 2021, 1:37 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 2:59 PM IST

हल्द्वानीः उत्तराखंड में ऐपण कला के जरिए अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने महिला सहायता समूह को ऐपण कला से निर्मित जूट के 300 बैग बनाने के ऑर्डर दिए हैं. इससे स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.

कुमाऊं की लोककला ऐपण के क्षेत्र में कार्यरत उत्तराखंड अपनी अनूठी संस्कृति और लोक कलाओं के लिए जाना जाता है. इन्हीं में से एक ऐपण कला उत्तराखंड को विशेष पहचान देने का काम कर रही है. ऐपण कला को शुभ कार्य एवं धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व दिया जाता है. यही कारण है कि उत्तराखंड की लोककला ऐपण की पहचान पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में की जाती है.

कुमाऊं की ऐपण लोककला का मुरीद हुआ मिनिस्ट्री ऑफ लेबर.

भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने हल्द्वानी के एक महिला सहायता समूह को जूट से निर्मित ऐपण कला संस्कृति वाले बैग का ऑर्डर दिया है. मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने फिलहाल ट्रायल के तौर पर 300 जूट के बैगों का ऑर्डर दिया है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ऐपण कला से निर्मित जूट के बैग महिला सहायता समूह के रोजगार का जरिया बनेगा. ऐसे में उत्तराखंड की ऐपण कला की पहचान भारत सरकार के कार्यालयों में भी दिखेगी.

ये भी पढ़ेंः देहरादून में कल से अंतरराष्ट्रीय टेनिस टूर्नामेंट, दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ी लेंगे हिस्सा

हल्द्वानी की केन सार्थक महिला सहायता समूह की महिलाएं जूट से निर्मित बैग, रेडीमेड गारमेंट्स, पूजा की थाली, नेम प्लेट, हस्त निर्मित वस्तुओं को ऐपण कला से सजाने का काम कर रही हैं. इन सामानों की उत्तराखंड सहित कई राज्यों में भारी डिमांड है. सहायता समूह द्वारा इन उत्पादकों को ऑनलाइन के अलावा प्रदर्शन के माध्यम से बेचे जाने का काम किया जाता रहा है. ऐसे में सहायता समूह की उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार के लेबर डिपार्टमेंट ने जूट से निर्मित ऐपण कला से सजाए हुए बैग की डिमांड की है.

केन सार्थक सहायता समूह के डायरेक्टर संजीव भटनागर का कहना है कि संस्था स्थानीय महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और उत्तराखंड की ऐपण कला के अलावा यहां की हस्त कलाओं को देश-विदेश तक पहुंचाने का काम कर रहा है. ऐसे में भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड के ऐपण कला की पहचान वाले जूट बैग की डिमांड की जाती है तो ये सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के आजीविका का साधन बनेगा. वहीं उत्तराखंड की पहचान पूरे देश-दुनिया में की जाएगी.

वहीं महिला सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं का मानना है कि केन सार्थक समूह के माध्यम से स्थानीय महिलाओं को अपना कला दिखाने का मौका मिल रहा है. साथ ही रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो रहे हैं.

Last Updated : Mar 5, 2021, 2:59 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details