हल्द्वानीः गौला नदी में काम रहे वाहन स्वामियों और क्रेशर स्वामियों के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है. चौथे दिन भी वाहन स्वामियों ने क्रेशर स्वामियों के विरोध में सड़क पर उतर कर खनन निकासी पूरी तरह से बंद रखा. इस दौरान उन्होंने क्रेशर स्वामियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए ढुलाई भाड़े में बढ़ोत्तरी करने की मांग की. वहीं, उन्होंने मांगें पूरी ना होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी.
बता दें कि बीते दो फरवरी से गौला नदी में खनिज की ढुलाई करने वाले सात हजार वाहन स्वामी ढुलाई भाड़े में प्रति कुंतल ₹16 कम करने का विरोध कर रहे हैं. इसी के तहत बुधवार को रेता-बजरी की खनन निकासी पूरी तरह बंद रहा. इस दौरान वाहन स्वामियों ने ढुलान भाड़े में कटौती का विरोध जताते हुए क्रेशर स्वामियों के खिलाफ नारेबाजी की.
तकरार के चलते गौला नदी के सात हजार वाहन स्वामी और नंधौर नदी के ढाई हजार वाहन स्वामी अपनी वाहनों को खड़ा कर क्रेशर स्वामियों के विरोध में सड़कों पर उतर गए हैं. उधर खनन में काम करने वाले पच्चीस हजार से अधिक मजदूर बेरोजगारी की कगार पर आ गए हैं. जिससे करोड़ों रुपये कारोबार प्रभावित हो रहा है. जिला प्रशासन, वाहन स्वामियों और क्रेशर स्वामियों के बीच वार्ता सफल नहीं हो पाई है.
वाहन स्वामियों का आरोप है कि क्रेशर स्वामियों ने रेता बजरी के ढुलान भाड़े में प्रति कुंतल 16 रुपये कम किया है. जिससे उन्हें वाहन चलाना मुश्किल हो गया है.
वहीं, क्रेशर स्वामी बाजार में मंदी का हवाला दे रहे हैं. सरकार को भी बीते चार दिनों में 15 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है. साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 करोड़ का व्यापार भी प्रभावित हुआ है.
हालांकि, प्रशासन इसे क्रेशर और वाहन स्वामियों के बीच व्यवसायिक का मसला बता कर अपना पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन वाहन स्वामियों का आरोप है कि प्रशासन को हस्तक्षेप कर वाहन स्वामी और क्रेशर स्वामियों के बीच वार्ता करानी चाहिए. जिससे इसका स्थाई समाधान निकल सके.