हल्द्वानी:एक अक्टूबर से कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी से खनन कार्य शुरू होना है, लेकिन खनन कार्य से पहले ही खनन कारोबारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. गौला खनन संघर्ष समिति के बैनर तले खनन वाहन स्वामियों ने डीएम कैम्प कार्यालय में प्रदर्शन करते हुए एडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए एक राज्य एक रॉयल्टी लगाने की मांग की.
वाहन स्वामियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि राज्य में एक राज्य एक रॉयल्टी के अनुरूप समान रॉयल्टी नहीं लगाई गई, तो इस बार कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला और नंधौर नदी में वाहन स्वामी अपने वाहनों को नहीं उतारेंगे, जबकि वन निगम ने गौला में खनन की तैयारी शुरू कर दी है. बावजूद इसके वाहन स्वामियों ने एक भी फार्म नहीं खरीदा है. वाहन स्वामियों का कहना है कि सरकार ने अगर उनकी बात नहीं मानी तो आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.
ओखलकांडा ब्लॉक के टिमर गांव के विस्थापन की मांग वहीं, एडीएम अशोल जोशी का कहना है की इस मामले को शासन में भेजा जाएगा. शासन के निर्णय के बाद ही इसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा अन्य जिलों में खनन रॉयल्टी की दर करीब 9 रुपये कुंतल है, जबकि गोला से निकलने वाले उप खनिज की रॉयल्टी करीब ₹28 प्रति कुंतल है, जिसके चलते गोला नदी से निकलने वाले उप खनिज को लेने वाले स्टोन क्रेशर स्वामी खरीद से आनाकानी कर रहे हैं. जिसके विरोध में खनन कारोबारियों ने सरकार से एक प्रदेश एक रॉयल्टी की मांग की है.
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वहीं, ओखलकांडा ब्लॉक का टिमर गांव भूस्खलन की जद में है. ग्रामीणों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि भू वैज्ञानिकों व तमाम सर्वे के बाद टिमर गांव को विस्थापित किए जाने की रिपोर्ट लगाए जाने के बाद भी गांव को विस्थापित नहीं किया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि क्या सरकार किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है ? फिलहाल ग्रामीणों ने एडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उनको जल्द से जल्द वहां से विस्थापित करे नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है.