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गौला और नंधौर नदी के खनन मजदूरों को मिलेंगी मूलभूत सुविधाएं, 25 हजार श्रमिक करते हैं माइनिंग

हल्द्वानी में गौला और नंधौर नदियों में खनन कार्य करने वाले मजदूरों को सुरक्षा उपकरण और मेडिकल कैंप की सुविधा दी जाएगी. हर साल गौला में खनन के लिए हजारों प्रवासी मजदूर आते हैं. ऐसे में उनको बेहतर सुविधा देने की मांग समय-समय पर उठती रहती है.

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Published : Mar 24, 2023, 10:52 AM IST

खनन मजदूरों को मिलेंगी मूलभूत सुविधाएं

हल्द्वानी:गौला और नंधौर नदी में खनन का काम करने वाले वाले मजदूरों के लिए अच्छी खबर है. कार्यदायी संस्था वन विकास निगम मजदूरों को मिलने वाले सुरक्षा उपकरण और मेडिकल स्वास्थ्य कैंप के साथ अन्य सुविधाओं को जल्द देने जा रही है. वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चंद्र आर्य ने बताया कि खनन कार्य से जुड़े करीब 25 हजार मजदूरों के लिए निर्धारित सुविधा उपलब्ध कराए जाने की पूरी कार्रवाई चल रही है.

उन्होंने कहा कि नदी में मजदूरों का सर्वे चल रहा है. सर्वे के बाद मजदूरों को खनन यंत्र, सेफ्टी बूट, सेफ्टी ग्लव्स, कंबल के अलावा अन्य दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी. इसके अलावा मजदूरों के लिए मेडिकल कैंप और पीने के लिए पानी की बोतल और टैंकर की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि खनन कारोबारियों की हड़ताल के चलते कई महीने तक खनन का कारोबार ठप था. ऐसे में अब खनन कार्य सुचारू हो गया है. सरकार को राजस्व के साथ-साथ मजदूरों को भी रोजी-रोटी मिल रही है. गौला नदी में करीब 7500 खनन वाहन पंजीकृत हैं. 25,000 के आसपास मजदूर भी पंजीकृत हैं. मजदूरों का सत्यापन का काम चल रहा है.
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उन्होंने कहा कि मजदूरों की सुविधा के लिए अस्थाई शौचालय बना गया है. कुछ जगह पर मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था की जा रही है. जिससे स्वच्छ भारत अभियान को भी सफल बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि मजदूरों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए स्वास्थ्य कैंप भी लगाए जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है. हर सप्ताह स्वास्थ्य शिविर लगाकर मजदूरों का चेकअप किया जाएगा. साथ ही उनको निशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाएंगी. उन्होंने कहा कि खनन कार्य के लिए उत्तराखंड के साथ-साथ बाहरी प्रदेशों के बड़ी संख्या में श्रमिक आते हैं. गौरतलब है कि गौला नदी में काठगोदाम से लेकर शांतिपुरी तक चलने वाला खनन सरकार की तिजोरी भरने के साथ हजारों लोगों की आजीविका का साधन है.

कुमाऊं में रोजगार का सबसे बड़ा साधन गौला खनन को माना जाता है. वहीं दो वक्त की रोटी की आस में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में मजदूर यहां पहुंचते हैं. वन निगम के मुताबिक करीब 25 हजार श्रमिक हर साल यहां काम करने के लिए अस्थायी तौर पर आते हैं. मानसून सीजन में नदी बंद होने के बाद मजदूर वापस लौट जाते हैं. नदी से खनन कार्य इस समय तेजी से चल रहा है. लेकिन मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के चलते मजदूरों में नाराजगी है. ऐसे में वन विकास निगम इन मजदूरों को जल्द जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करने का दावा कर रहा है.

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