हल्द्वानी:कुमाऊं मंडल के स्टोन क्रशर स्वामियों के हड़ताल के साथ-साथ कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी से खनन भी बंद हो गया है. वहीं, कुमाऊं मंडल के सभी स्टोन क्रशर स्वामी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के दूसरे दिन सरकार, शासन और स्टोन क्रशर स्वामियों के बीच कोई वार्ता नहीं हो पाई है.
स्टोन क्रशर स्वामियों की हड़ताल. खनन से जुड़े कारोबारी और मजदूर परेशान हैं, लेकिन सरकार और उनके नुमाइंदे न हीं स्टोन क्रशर स्वामियों के साथ समझौता कर रहे हैं न ही गौला नदी से खनन हो पा रहा है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि स्टोन क्रशर स्वामियों की हड़ताल और लंबी जा सकती है, जिसके चलते रेता बजरी के दाम में उछाल देखने को मिलेगा. बात स्टोन क्रेशर बंद होने से नुकसान की करें तो पिछले 2 दिनों की हड़ताल में करीब 4 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है.
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गौला नदी में खनन बंद होने से सरकार को पिछले 3 दिनों में करीब 3 करोड़ का नुकसान का आकलन किया जा रहा है. गौला नदी में खनन कारोबार से जुड़े खनन कारोबारियों का कहना है कि 18 लाख घन मीटर नदी से खनन लक्ष्य पूरा होने के बाद शासन से 12 लाख घन मीटर दोबारा खनन निकासी की अनुमति मिलने के बाद भी गौला नदी को नहीं खोला गया है, जिसके चलते हैं खनन कारोबारियों के आगे संकट खड़ा हो गया है.
यही नहीं स्टोन क्रशर स्वामियों के हड़ताल पर चले जाने के चलते उनके ऊपर दोहरी मार पड़ी है, लेकिन सरकार और स्टोन क्रेशर स्वामियों के रवैये के चलते खनन से जुड़े मजदूर और वाहन कारोबारियों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. वाहन स्वामियों का कहना है कि काम न चलने के बावजदू उन्हें टैक्स देना पड़ा रहा है.