हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन कहे जाने वाली गौला नदी से चार गेट उपखनिज निकासी के लिए खोल दिए गए हैं, लेकिन समस्या ये है कि खनन कारोबारियों ने खनन निकासी से हाथ खड़े कर दिए है. खनन कारोबारी एक प्रदेश एक रॉयल्टी को लेकर विरोध जता रहे हैं. जिसके चलते वह खनन कार्य करने से मना कर रहे हैं.
प्रदेश सरकार को मालामाल करने वाली और कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी से निकलने वाला उप खनिज निकासी के लिए वन विकास निगम ने चार गेट करीब दो महीने बाद विधिवत तरीके से खोले दिए हैं. लेकिन वन विभाग के सामने समस्या ये है कि खनन कार्य से जुड़े वाहन स्वामियों और खनन कारोबारियों ने खनन निकासी से करने से मना कर दिया है. ऐसे में सरकार को रोजाना करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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वन विभाग ने अभी 12 खनन निकासी गेटों में चार गेटों को खोल है. वन क्षेत्राधिकारी गोला रेंज चंदन अधिकारी ने बताया कि वन विभाग और वन विकास निगम ने संयुक्त रूप से गेट खोले हैं. फिलहाल हल्द्वानी के आंवला चौकी, गौरापड़ाव, बेरीपड़ाव और लालकुआं गेट को खोल दिया गया है, जहां वाहनों के लिए खनन तौल कांटे, ऑनलाइन कनेक्टिविटी सहित सभी सॉफ्टवेयर लगा दिए गए हैं, ताकि खनन का कार्य शुरू हो सके.
उन्होंने बताया कि वन विभाग ने गेट तो खोल दिए हैं, लेकिन खनन कारोबारी एक प्रदेश एक रॉयल्टी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं. इसीलिए वे खनन कार्य करने से मना कर रहे हैं. गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के खनन कारोबारी एक प्रदेश एक रॉयल्टी को लेकर 2 महीने से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. इसीलिए उन्होंने अपनी मांगें पूरी होने तक खनन कार्य करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.
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बता दें कि खनन कार्य नहीं शुरू होने से प्रदेश सरकार को रोजाना डेढ़ करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके अलावा खनन से जुड़े करीब 7500, वाहन सहित भारी संख्या में मजदूर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. खनन कार्य नहीं होने से मजदूरों के सामने भी अब संकट खड़ा हो रहा है.