कालाढूंगी: लॉकडाउन के चलते पिछले कई महीनों से घाटा झेल रहे बैंड-बाजा कारोबारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. इसे देखते हुए प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के नेतृत्व में बैंड-बाजा कारोबारियों ने तहसील कार्यालय पहुंचकर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भेजा. ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक मदद दी जानी चाहिए.
लॉकडाउन के चलते बैंड-बाजा कारोबारियों को हुआ भारी नुकसान. पढ़ें-लॉकडाउन में कैंसिल हुआ बैंड, बाजा, बारात का प्रोग्राम , घोड़ा-बग्घी संचालकों की बढ़ी परेशानी
बैंड मास्टर रज्जाक उर्फ राजा ने बताया कि वह मजदूरों को प्रति साल के हिसाब से एडवांस रुपए देते हैं. जिनकी बुकिंग सीजन शुरू होने के 2 महीने पहले ही हो जाती है. वह मजदूरों को 50 हजार रुपए से एक लाख रुपए तक एडवांस देकर बुकिंग करते हैं. इसके बाद से इनका सालभर का कांट्रैक्ट रहता है. उन्होंने बताया कि कांट्रैक्ट होने के बाद ये मजदूर उनकी बैंड पार्टी में ही बैंड बजाते हैं. लेकिन अब शासन के द्वारा लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिसके कारण बैंड वालों को जो एडवांस देकर मियाद तय की थी, अब वह मियाद भी खत्म होने को है और सीजन चालू नहीं हो रहा है. इससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
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उन्होंने बताया कि अनलॉक में सभी व्यवसाय खोल दिये गए हैं. बैंड-बाजे, लाइट, सजावट करने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के चलते अब उनका ही बैंड बज गया है. यदि बैंड मास्टर की मानें तो अप्रैल और मई में ही बहुत कार्यक्रमों की बुकिंग रहती थी. सालभर की सबसे बड़ी बुकिंग अप्रैल और मई महीनों में ही रहती है. एक-एक बैंड की करीब 50 से 60 बुकिंग कैंसिल हो चुकी हैं. साथ ही पार्टियों के द्वारा भी आधा भुगतान एडवांस में दे दिया गया था, जो मजदूरों को बांट दिया गया है. अब पार्टियां दिए हुए आधे भुगतान की राशि वापस मांग रही हैं. इस कोरोना काल के चलते बैंड मास्टर सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं.
वहीं, टेंट का कारोबार करने वालों को भी बड़ा नुकसान हुआ है. टेंट कारोबारियों ने बताया कि उनकी कई बुकिंग निरस्त हो गई हैं, जबकि वे इनके लिए एडवांस रुपए ले चुके हैं. ऐसे में उन्हें भी बुकिंग के रुपए वापस करने पड़ रहे हैं. जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. टेंट कारोबारियों ने बताया कि कई ग्राहक बुकिंग कैंसिल होने से एडवांस वापस मांग रहे हैं. जबकि वह मजदूरों को रुपए दे चुके हैं, ऐसे में परेशानी हो रही है.