हल्द्वानी इंजीनियर ने खोली चाय की दुकान. हल्द्वानी: सरकारी नौकरी हर किसी का सपना होता है. सभी माता-पिता चाहते हैं कि पढ़ाई लिखाई के बाद डिग्री हासिल कर उनके बच्चे अच्छी नौकरी करें. मगर चंद खुशकिस्मत ही होते हैं, जिनका सरकारी नौकरी का सपना पूरा हो पाता है. बाकी लोगों को रोजगार के दूसरे साधन तलाश करने पड़ते हैं. ऐसी ही एक कहानी पहाड़ के उस युवक की है जो इंजीनियरिंग करने के बाद हल्द्वानी में चाय की दुकान चला रहा है. इंजीनियर चाय वाला नाम की दुकान पर चाय पीने के लिए आम आदमी से लेकर खास आदमी तक पहुंचते हैं.
पंकज ने की है मैकिनिकल इंजीनियरिंग: आज हम आपको अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत के युवा पंकज पांडे की कहानी बताने जा रहे हैं. पंकज ने उत्तराखंड के गरुड़ सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्हें प्राइवेट सेक्टर में कई नौकरियां मिलीं. लेकिन पंकज की सरकारी नौकरी नहीं लग पाई. इसके बाद पंकज ने अपना स्टार्ट अप शुरू करने की ठान ली.
मैकेनिकल इंजीनियर ने खोली चाय की दुकान: पंकज पांडे ने बताया कि शुरुआती दौर में उनके पास पैसा नहीं था. दोस्तों से पैसे उधार लेकर 30 हजार का चाय का चलता फिरता स्टाल तैयार किया. पंकज ने बताया कि उन्होंने सोचा कि चाय के स्टाल को कुछ अलग नाम दिया जाए. पंकज ने अपने इंजीनियरिंग के डिप्लोमा को देखते हुए अपनी दुकान का नाम इंजीनियर चाय वाला रख दिया.
चाय बेचकर इतना कमा लेते हैं पंकज: आज पंकज पांडे अपने चाय के स्टाल को कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी महाविद्यालय गेट पर लगाते हैं. यहां चाय पीने के लिए आम आदमी से लेकर खास आदमी तक पहुंचता है. पंकज पांडे के इंजीनियर चाय वाला स्टाल पर चाय पीने के लोग खूब पहुंचते हैं. लोग पंकज पांडे की चाय की दुकान के साथ सेल्फी भी लेते हैं. पंकज पांडे का कहना है कि वह अपने कारोबार से खुश हैं. आज वह अपने स्टार्ट अप से रोजाना दो से ढाई हजार रुपए कमा लेते हैं.
पंकज की दुकान की चाय हो गई चर्चित: उनके चाय के स्टाल पर नॉर्मल चाय 10 रुपये की मिलती है. कुल्हड़ वाली चाय की कीमत 20 से 25 रुपये है. पंकज की चाय को ग्राहक भी खूब पसंद करते हैं. ग्राहक पंकज के इंजीनियर होने और दुकान के बोर्ड पर इंजीनियर चाय वाला लिखा देख आकर्षित होते हैं. जब एक बार पंकज के हाथ की चाय पी लेते हैं तो फिर बार बार उनकी दुकान पर आते हैं.
चल निकला पंकज का स्टार्ट अप:पंकज पांडे ने बताया कि मेरे घरवालों ने मुझे पढ़ाया लिखाया. गरुड़ पॉलिटेक्निक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर का कोर्स करने के बाद कई कंपनियों में इंटरव्यू दिए. कई सरकारी फॉर्म भी भरे. लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिली. सरकार की ओर से भी कई डिपार्टमेंट में मैकेनिकल इंजीनियर की पोस्ट खत्म कर दी गई है. पंकज ने कहा कि मेरी उम्र भी बढ़ रही थी. नौकरी पाना अब मुश्किल सा लग रहा था. घरवालों को उम्मीद थी कि बेटे को पढ़ाया लिखाया है तो बेटा भी अपना फर्ज निभाएगा. लेकिन हालात सुधर नहीं रहे थे. ऐसे में मैंने खुद फैसला लिया और चाय बेचने का स्टार्ट अप शुरू किया.
ये भी पढ़ें: Startup Policy 2023: स्टार्टअप उद्योग में टॉप 3 में पहुंचना उत्तराखंड का लक्ष्य, ऑनलाइन हुईं ये पॉलिसी
पंकज पांडे का कहना है कि जिस तरह से आज के दौर में नौकरियां खत्म हो रही हैं, युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, ऐसे में हम सभी युवाओं को नौकरी नहीं मिलने की स्थिति में अपने कदम स्वरोजगार की ओर बढ़ाने चाहिए, जिससे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें.