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कारगिल दिवस विशेष: शहीद की शहादत पर हो जाती हैं आंखें नम, परिजनों को शहादत पर गर्व

कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने विजयगाथा लिखी थी. जिसमें से एक राम प्रसाद ध्यानी भी थे. जिनका जन्म पुश्तैनी गांव तौलूडांडा, तहसील धुमाकोट, जिला पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. आज भी उनकी शहादत को याद कर परिजनों की आंखें नम हो जाती हैं.

Kargil Day
कारगिल दिवस विशेष

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Published : Jul 26, 2020, 12:38 PM IST

रामनगर: कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. ये भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई, 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. जिसमें भारतीय सैनिकों ने विजयगाथा लिखी थी. ऐसे ही प्रदेश के एक वीर सपूत हैं, स्वर्गीय राम प्रसाद ध्यानी, जो दुश्मनों को धूल चटाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनकी शहादत को आज भी क्षेत्र के लोग सलाम करते हैं.

शहीद की शहादत पर हो जाती हैं आंखें नम

शहीद राम प्रसाद ध्यानी का जन्म पुश्तैनी गांव तौलूडांडा, तहसील धुमाकोट, जिला पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई दमदेवल इंटर कॉलेज से की थी. शहीद राम प्रसाद ध्यानी अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. वो स्वभाव से बड़े काफी हंसमुख स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. परिजन बताते हैं कि उन्हें गाना गाने का भी शौक था. जब भी गांव में रामलीला होती थी, वो उसमें भाग लेकर गाना गाते थे. इसके अलावा वो पढ़ाई में भी अव्वल रहते थे. इंटर की पढ़ाई के बाद राम प्रसाद ध्यानी सन 1990 में 13वीं सिख रेजिमेंट लैंसडाउन (गढ़वाल) में भर्ती हो गए. भर्ती होने के 4 साल बाद 22 वर्ष की उम्र में उनका विवाह जयंती देवी से हुआ.

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साल 1998 में उनका परिवार रामनगर क्षेत्र के हाथी डगर गांव में आकर बस गया. उधर कुछ समय के बाद उनको 13 सिख रेजिमेंट से 17 वीं गढ़वाल राइफल्स में तैनाती मिल गई. राम प्रसाद जब शहीद हुए तो उनके पिता उस समय तौलूदाण्डा गांव में थे. उनकी शहादत की खबर सबसे पहले उनके घर पहुंची. उनके पिता को स्कूल के अध्यापकों ने इसकी जानकारी दी. जैसे ही ये खबर परिवार के अन्य सदस्यों को पता चली तो मातम छा गया. किसी तरह लोगों ने उनको ढांढस बंधाया.

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वहीं, भारत सरकार ने शहीद के नाम से एक पेट्रोल पम्प बनवाया और परिवार को सभी सुविधाए दी गईं. उनके बेटे की शिक्षा का पूरा खर्चा भारत सरकार ने उठाया. लेकिन शहीद के परिजनों को उनकी कमी हमेशा खलती रहती है. जो शहीद के परिजनों के आंखों में साफ देखी जा सकती है.

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