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38 साल बाद पंचतत्व में विलीन सियाचिन के हीरो चंद्रशेखर हरबोला, बेटियों ने दी मुखाग्नि - उत्तराखंड शहीद समाचार

शहादत के 38 साल बाद सियाचिन के हीरो चंद्रशेखर हरबोला का पूरे रीति-रिवाज और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है. हल्द्वानी के चित्रशिला घाट में शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार किया गया. दोनों बेटियों कविता और बबीता ने पिता को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार से पहले सीएम धामी ने शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया. 29 मई 1984 को भारी हिमस्खलन की चपेट में आने से ऑपरेशन मेघदूत में शामिल 20 सैनिकों की पूरी बटालियन शहीद हो गई थी.

Martyr Chandrashekhar Harbola cremated with military honors at Chitrashila Ghat
चित्रशिला घाट पर हुआ शहीद चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार

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Published : Aug 17, 2022, 4:21 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 5:54 PM IST

हल्द्वानी:लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ आज रानीबाग के चित्रशिला घाट (Martyr Chandrashekhar Harbola cremated at Chitrashila Ghat) पर किया गया. शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला की दोनों बेटियां कविता और बबीता ने पिता को मुखाग्नि दी. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग घाट पर मौजूद रहे. सेना, प्रशासन और पुलिस के जवानों ने शहीद को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीएम धामी, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी शहीद के परिजनों से मुलाकात की.

बता दें, आज सेना के जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर हल्द्वानी के आर्मी हेलीपैड पर लाया गया. यहां से पार्थिव शरीर को सरस्वती विहार कॉलोनी स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान स्थानीय लोगों से लेकर वीआईपी लोगों ने शहीद को याद करते हुए उन्हें नमन किया. सीएम धामी भी शहीद के दर्शनों के लिए उनके घर पहुंचे. सीएम धामी ने लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के परिजनों से मुलाकात करते हुए उन्हें ढांढस बंधाया.

चित्रशिला घाट पर हुआ शहीद चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार

इस दौरान सीएम धामी ने कहा शहीद चंद्रशेखर हरबोला के बलिदान को याद रखा जाएगा. उन्होंने कहा उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सीख है. चंद्रशेखर हरबोला एक परिवार के नहीं हैं, वो पूरे देश के हैं. उन्होंने कहा सैन्य धाम में भी उनकी स्मृतियों को संजोकर रखा जाएगा. उनके नाम पर स्कूल, सड़क और स्मारक की की मांग के सवाल पर बोलते हुए सीएम धामी ने कहा परिवार की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी मांगो पर जरूर विचार किया जाएगा. इस दौरान कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी सीएम के साथ मौजूद रहे.
पढे़ं-38 साल बाद बंकर में मिला सियाचिन के हीरो का पार्थिव शरीर

इसके बाद में पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहदी की अंतिम यात्रा निकाली गई. अंतिम यात्रा में भारत माता की जय, शहीद चंद्रशेखर हरबोला अमर रहे के नारे गूंजे. आखिर में पूरे सैनिक सम्मान के साथ रानीबाग के चित्रशिला घाट पर लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान सभी के आंखे नम नजर आईं.

पिता को मुखाग्नि देती बेटियां.

ऑपरेशन मेघदूत में थे शामिल:मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे. वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे. 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए झड़प हो गई थी. भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत (operation meghdoot in siachen glacier) रखा था.

ग्लेशियर की चपेट में आकर हुए थे शहीद:मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थीं. इसमें लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला भी शामिल थे. 29 मई को भारी हिमस्खलन से पूरी बटालियन दब गई थी, जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही. भारत सरकार और सेना की ओर से सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था, जिसके बाद उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था. उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 साल थी.

शहीद को श्रद्धांजलि.

इसके बाद शहीद की पत्नी शांति देवी को फोन से जानकारी दी गई कि शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद हुआ है. इसके बाद सेना ने पत्र के जरिए घरवालों को चंद्रशेखर के शहीद होने की सूचना दी थी. उसके बाद परिजनों ने बिना शव के चंद्रशेखर हर्बोला का अंतिम संस्कार पहाड़ी रीति रिवाज के हिसाब से कर दिया था.

शहीद को श्रद्धांजलि देते सीएम धामी.

38 साल बाद मिला शरीर:वहीं, इस बार (2022) जब सियाचिन ग्लेशियर पर बर्फ पिघलनी शुरू हुई, तो लापता सैनिकों की तलाश फिर शुरू की गई. इसी बीच, आखिरी प्रयास में लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर (Chandrashekhar Harbola body found after 38 years) ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिला. चंद्रशेखर हर्बोला की पहचान उनके डिस्क से हुई, जिसमें उनका बैच नंबर और अन्य जरूरी जानकारी दर्ज थीं. सेना ने दर्ज नंबर- 4164584 की जांच की तो पूरी जानकारी सामने आ गई. इसके बाद उनके परिजनों को सूचना दी गई. शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी का कहना है कि जनवरी 1984 में आखिरी बार वो घर आए थे और तब ये वादा किया था कि इस बार जल्दी घर लौटेंगे लेकिन उनका ये वादा अधूरा रह गया.

Last Updated : Aug 17, 2022, 5:54 PM IST

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