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कभी रक्तदान से होता था संकोच, आज देहदान का संकल्प ले रहे लोग

राजकीय मेडिकल कॉलेज में छात्रों को प्रतिवर्ष 10 मृत शरीर की आवश्यकता होती है. देहदान करने के लिए परिवार की सहमति के साथ-साथ एफिडेविट देकर राजकीय मेडिकल कॉलेज में संकल्प दिया जाता है. मृत्यु के 8 घंटे के उपरांत ही शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान देना होता है.

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Published : Sep 24, 2019, 3:14 PM IST

Updated : Sep 24, 2019, 4:31 PM IST

हल्द्वानी

हल्द्वानी:पितृ पक्ष में जहां लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने देहदान करके समाज को नया संदेश दिया है. नैनीताल जिले में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था के लिए अपने देहदान करने का निर्णय लिया है.

देहदान का संकल्प ले रहे लोग.

हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज में अबतक 175 लोग देहदान का आवेदन कर चुके हैं. साल 2010 से अभीतक 11 लोग अपने देह का दान कर चुके हैं. मेडिकल कॉलेज को मिलने वाली देह का जूनियर, पीजी और रिसर्च छात्र पूरा आदर सम्मान करते हैं, क्योंकि मेडिकल छात्रों के लिए मृत शरीर एक शिक्षक के समान होता है. जिससे वे डॉक्टरी की शिक्षा लेते हैं.

गौरतलब है कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में छात्रों को प्रतिवर्ष 10 मृत शरीर की आवश्यकता होती है. देहदान करने के लिए परिवार की सहमति के साथ-साथ एफिडेविट देकर राजकीय मेडिकल कॉलेज में संकल्प दिया जाता है. मृत्यु के 8 घंटे के उपरांत ही शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान देना होता है.

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ऐसे कई परिवार सामने आए हैं, जिन्होंने देहदान करने का बड़ा निर्णय लिया है. इनमें से एक है एमबी पीजी कॉलेज हल्द्वानी में हिंदी के प्रवक्ता संतोष कुमार मिश्रा. मिश्रा ने अपने परिवार जिसमें उनके माता-पिता, पत्नी और खुद के देहदान का संकल्प लिया है. यह निर्णय अपने आप में अभूतपूर्व है.

Last Updated : Sep 24, 2019, 4:31 PM IST

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