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Adulteration in Haldwani: मिलावटखोरी के 308 मामले एडीएम कोर्ट में पेंडिंग, बढ़ रहा सेहत से खिलवाड़ का खेल

त्योहारी सीजन में मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आते हैं. खाद्य विभाग इन मिलावटखोरों पर लगातार कार्रवाई करता रहा है. जांच में नमूने फेल होने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है. वहीं एडीएम कोर्ट में इस तरह के कई मामले लंबे समय से पेंडिंग चल रहे हैं.

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Published : Feb 20, 2023, 11:05 AM IST

बढ़ रहा सेहत से खिलवाड़ का खेल

हल्द्वानी: खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट का धंधा जोरों पर है. मिलावटखोर बेखौफ होकर खाद्य पदार्थों में मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं मिलावटखोरी को रोकने के लिए त्योहारों या फिर अन्य खास मौकों पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के अधिकारियों की टीमें छापे मारकर नमूने लेने का अभियान चलाती हैं. इस दौरान जो नमूने प्रयोगशाला जांच में फेल हो जाते हैं, उनसे संबंधित विक्रेताओं के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में मुकदमे दर्ज किए जाते हैं. लेकिन उत्तराखंड का नैनीताल जनपद एक कैसा जिला है जहां खाद्य सुरक्षा से जुड़े 308 मामले एडीएम कोर्ट में सुनवाई के लिए पेंडिंग पड़े हैं.

जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि मिलावटखोरों पर समय कार्रवाई में देरी हो रही है. जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों के सैम्पलिंग की कार्रवाई की गई है. जहां 184 मामलों में 52 मामले सामने आए हैं. मानकों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर एडीएम कोर्ट को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 308 मामले एडीएम कोर्ट, जबकि तीन मामले अन्य कोर्ट में पेंडिंग पड़े हुए हैं, जिन पर सुनवाई होनी है. उन्होंने बताया कि कई मामलों में कोर्ट द्वारा जुर्माने की कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि खाद सुरक्षा नियमों के तहत विभाग द्वारा खाद्य पदार्थ वस्तुओं कि लगातार सैंपलिंग की कार्रवाई की जाती है.
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जन जागरूकता अभियान के अलावा खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों को भी खाद्य सुरक्षा संबंधित ट्रेनिंग दी जाती है. जिससे खाद्य पदार्थों में किसी तरह की कोई मिलावट की गुंजाइश ना हो. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में होली का त्यौहार आ रहा है. ऐसे में मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं. इसके लिए अभियान चलाकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. वहीं विभाग द्वारा नकली मावा, खोया, दूध पनीर वालों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि खाद्य पदार्थ के नमूने राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला भेजे जाते हैं, जहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम (पीएफए) और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (एफएसएसए) के प्रावधानों के अनुसार उनकी रिपोर्ट 15 दिन में मिल जानी चाहिए. नमूने फेल होने की स्थिति में विभागीय न्याय निर्णायक अधिकारी/एडीएम प्रशासन कोर्ट से जुर्माना और कारावास की सजा तक का प्रावधान है.

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