उत्तराखंड: क्या ऐसे बनेंगे श्वेत क्रांति का हब, पशुओं की संख्या में आई कमी
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश को श्वेत क्रांति बनाने का ऐलान किया है, लेकिन सरकार द्वारा जारी आंकड़े तो कुछ और ही बयां कर रहे हैं. आइये जानें पशु गणना वर्ष 2012 की तुलना में पशु गणना 2019 में क्या कुछ बदलाव आए हैं.
उत्तराखंड में पशुओं की संख्या में आई कमी.
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Published : Aug 19, 2020, 5:15 PM IST
हल्द्वानी:उत्तराखंड में हुई पशु गणना में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. पशु गणना वर्ष 2012 की तुलना में पशु गणना 2019 में प्रदेश में पशुओं की संख्या में कमी दर्ज की गई है. पशु गणना 2012 के मुकाबले 2019 में जहां गोवंश पशुओं में 8% की कमी दर्ज की गई है. वहीं, महिशवंशीय पशुओं में 10% की कमी दर्ज की गई है. आइये देखें विस्तृत रिपोर्ट...
वहीं, भेड़ पालन में 23% जबकि शुगर पालन में 11% की गिरावट देखी गई है. जबकि, बकरी पालन में 0.33 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में आंकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि उत्तराखंड में पशुपालन से धीरे-धीरे लोगों का मोहभंग हो रहा है. सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. जिससे कि यहां के लोगों को पशुपालन के क्षेत्र में रोजगार मिल सके और प्रदेश की श्वेत क्रांति की सपना पूरा हो सके. लेकिन, पशु गणना के आंकड़े सरकार के मंसूबे पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं.
2012 से 2019 के आंकड़े-
नस्ल
2012
2019
विदेशी नस्ल के गोवंश( क्रॉस ब्रीड
497592
576820
देसी नस्ल की गोवंश
1508461
1275303
महिशवंशीय
987775
866318
बकरी
1367413
1371971
भेड़
368756
284615
सुकर
19907
17669
गणना के अनुसार साल 2019 में आई कमी
वहीं, 2012 के गणना के अनुसार प्रदेश में गोवंश की संख्या 20,06,053 थी जो 2019 की गणना के अनुसार 18,52,123 रह गई है. जिसमें गोवंश की संख्या 15,39,30 कम दर्ज की गई है. वहीं, महिशवंशीय पशुओं की संख्या में 12,1,457 कमी देखी गई हैं.
अपर निदेशक पशुपालन विभाग कुमाऊं मंडल भुवन कर्नाटक के मुताबिक गोवंश और महिशवंशीय पशुओं में थोड़ा कमी दर्ज की गई है. जबकि, विदेशी नस्ल के पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ है. वर्तमान में पशुपालक विदेशी नस्लों की पशुओं की ज्यादा पालन कर रहे हैं. 2012 की तुलना में 2019 में विदेशी नस्ल के पशुओं में इजाफा देखा गया है. उन्होंने बताया कि पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, जिसका पशुपालक लाभ उठा रहे हैं आने वाले दिनों में पशुओं की संख्या में इजाफा होने की संभावना है.