उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

भूमिहीन विस्थापन: निचली अदालत को 4 महीने में मामला निस्तारित करने का निर्देश

नैनीताल हाईकोर्ट ने आज साल 1955 के भूमिहीन विस्थापितों के मामले में सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट ने निचली अदालत को 4 महीने में मामले को निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं.

By

Published : Aug 27, 2021, 6:20 PM IST

Nainital High Court
Nainital High Court

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के तीन पर्वतीय जिलों के भूमिहीन शिल्पकारों को साल 1955 में उधम सिंह नगर के बरहैनी रेंज में विस्थापित करने के बाद अभी तक 600 परिवारों को भूमिधारी मालिकाना हक न दिए जाने के मामले पर सुनवाई की. इस मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत को 4 माह के भीतर इनके मामलों को निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.

बता दें, पर्वतीय भूमिहीन शिल्पकार समिति के अध्यक्ष केसर राम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि साल 1955 में टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिलों में बहुत बड़ा भूस्खलन हुआ था. सैकड़ों लोग भूमिहीन हो गए थे. इस भूस्खलन के बाद इन भूमिहीन लोगों को बसाने के लिए भारतरत्न गोविंद बल्लभ पंत ने 1955 में उधम सिंह नगर के बरहैनी रेंज में विस्थापित करने का आदेश दिया. उस समय 1915 एकड़ भूमि दी गयी. साथ ही 3300 एकड़ और भूमि देने का वादा किया गया. इस 3300 एकड़ भूमि में से आधी से अधिक भूमि तुमड़िया डैम बनने में चली गयी. जो भूमि बची है, उसे विस्थापित मांग रहे हैं.

शिल्पकार समिति का कहना है कि उनको अन्य भूमि देने के लिए सरकारों ने कई शासनादेश जारी भी किए थे. अथक प्रयास करने पर उधम सिंह नगर के बरहैनी रेंज में रेवेन्यू विभाग व वन विभाग के संयुक्त सर्वे के बाद विस्थापितों के लिए 1585 एकड़ भूमि चिन्हित की गई. इस भूमि का अभी तक उनको मालिकाना हक वन विभाग द्वारा नहीं दिया गया.

पढ़ें- मॉनसून सत्र@5वां दिन: सदन की कार्यवाही शनिवार सुबह 11 बजे तक स्थगित

इस संबंध में एक वाद सिविल जज काशीपुर के यहां दायर किया गया, जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त भूमि का मालिकाना हक विस्थापितों को दिया जाए. लेकिन वन विभाग द्वारा आज तक उनको यह मालिकाना हक नहीं दिया गया. इस कारण उन्हें सरकार की योजनाओं के साथ ही मूलभूत सुविधाएं जैसे राशन कार्ड, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता की मांग है कि उन्हें भूमिधारी हक दिया जाए ताकि यहां रह रहे गरीब परिवारों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें और सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details