कालाढ़ूंगी:क्या आपने कागज फिल्म देखी है. इस फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के जीवन पर आधारित है, जो असल में तो जिंदा होता है, लेकिन कागजी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद पूरी फिल्म इसी कहानी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. कुछ ऐसा ही हुआ है कोटाबाग विकाखंड के कमोला गांव निवासी हरिकृष्ण के साथ भी. जिन्हें मृत दिखाकर भूमाफिया ने उनकी जमीन को किसी और को बेच दिया है. ऐसे में हरिकृष्ण अब न्याय पाने को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
कागज फिल्म में देश के सरकारी तंत्र की खस्ता हालत दिखाने की कोशिश की जाती है कि कैसे देश का सिस्टम पूरी तरह से किसी भी इंसान की आसान और नॉर्मल जिंदगी को बर्बाद कर सकता है. कैसे महीनों अदालत और कोर्ट-कचहरी करने के बाद भी आसानी से न्याय नहीं मिलता है. पूरी फिल्म एक ऐसे ही इंसान की कहानी है जो खुद को जिंदा साबित करने के लिए पूरे सरकारी सिस्टम के खिलाफ संघर्ष करता है.
ऐसा ही संघर्ष अपने जीवन में कोटबाग के कमोला गांव के रहने वाले हरिकृष्ण भी कर रहे हैं. जिन्हें अपने आप को जीवित साबित करने के लिए भी बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. क्योंकि कुछ भूमाफिया ने इन्हें मृत दर्शाकर इनकी पुश्तैनी भूमि को ही बेच डाला. जी हां! कुछ जनप्रतिनिधियों व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से इन्हें मृत दिखाए जाने का मामला कालाढूंगी के साथ ही प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.