हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र अपने कई उपलब्धियां के लिए जाना जाता है. जैव विविधता के क्षेत्र में कई विलुप्त प्रजातियां वनस्पतियों को संरक्षित करने का भी काम कर रही है. इसी के तहत लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र ने सुरभि वाटिका तैयार की गई है. जिसमें करीब 40 से 50 प्रजातियों के फूलों को संरक्षित कर तितलियां, मधुमक्खियों और पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित कर जीवन दान दे रही हैं.
फूलों की खुशबू से महका वन अनुसंधान केंद्र का गार्डन, तितलियां,मधुमक्खियों और पक्षियों को दे रहा जीवनदान
Lalkuan Forest Research Center लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र इन दिनों कई किस्मों के फूलों से महक रहा है. जो तितलियां,मधुमक्खियों और चिड़ियों को अपनी और आकर्षित कर रहा है. वहीं ये फूलों का गार्डन लोगों के लिए भी आनंद और उत्साह भर रहा है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Sep 9, 2023, 11:39 AM IST
वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि अनुसंधान केंद्र ने सुरभि वाटिका तैयार की गई है. जिसके माध्यम से सुगंधित फूलों और पौधों को संरक्षित करने का काम किया गया है. संरक्षित किए गए फूलों की ऐसी प्रजातियां है, जो विलुप्त हो चुकी है. कई ऐसे फूल हैं जो काफी खुशबूदार हैं. फूलों का गार्डन लगाने का मकसद है कि इन फूलों को सुरक्षित करने के साथ-साथ परागण करने वाली तितलियां, मधुमक्खियों और पक्षियों को जीवन दान देना है. अनुसंधान केंद्र का मकसद है कि आम जनमानस गार्डन में आकर सुगंधित और आयुर्वेदिक फूलों की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं. फूल हमारे जीवन में आनंद और उत्साह के प्रतीक हैं.
आयुर्वेद में फूलों का बड़ा महत्व है, बहुत से फूल औषधि से भरपूर हैं. आयुर्वेद में फूलों का प्रयोग लंबे समय से किया जाता रहा है, जिनकी मदद से कई रोगों का इलाज किया जाता सकता है. ऐसे में आम जनता इन फूलों के विषय में जानकारी हासिल कर सकती है. अनुसंधान केंद्र में करीब 40 से 50 प्रजातियों के फूल लगाए गए हैं. जिसमें से मुख्य रूप से गुलाब, नीलकमल, सूरजमुखी, चमेली, चम्पा, सोन चम्पा, नाग चम्पा, मोगरा, कनेर, दिन का राजा, रातरानी, गंधराज मधुमालती, रंजाई, चांदनी फूल, गुड़हल, जास्वंद, कुमुदिनी, सदाबहार, कन्द पुष्प, साहित्य विभिन्न प्रजातियों की फूल हैं, जो तितलियां और मधुमक्खियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं.