हल्द्वानी/रामनगरः कुमाऊं की पारंपरिक लोक उत्सव खतडवा पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इस दौरान खतडवा जलाकर लोगों ने खीरा-ककड़ी का प्रसाद वितरण किया और लोक पर्व की बधाई दी. वहीं, हल्द्वानी, रामनगर समेत ग्रामीण इलाकों में भी खतडवा जलाई गई. साथ ही पशुधन और अच्छी फसल की कामना की गई.
उत्तराखंड में पहले से ही कृषि और पशुपालन आजीविका का मुख्य साधन रहा है. भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां कई तरह की समस्याएं देखी जाती है, उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशुपालन ही जीवन व्यापार का मुख्य साधन है. ऐसे में इस दिन खतडवा जलाकर उत्तम कृषि और पशुधन की कामना की जाती है. इस मौके पर खीरा-ककड़ी समेत कई प्रसाद एक-दूसरे को खिलाकर शरद ऋतु आगमन की तैयारी किया जाता है. साथ ही वर्षा ऋतु को विदाई दी जाती है.
मवेशियों की जाती है पूजा
इतना ही नहीं खतडवा का मशाल जलाकर पशुओं के बीमारियों के दूर करने की कामना की जाती है. जबकि, इस दिन पशुओं की पूजा भी की जाती है और मवेशियों की साफ-सफाई के अलावा उनके गौशालाओं को भी साफ किया जाता है. शाम के समय नवयुवक खतडवा जलाकर उसके उपर से छलांग लगाते हैं और उन्नत कृषि और उन्नत पशुपालकों के लिए बधाई देते हैं.