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Uttarakhand High Court: न्यायमूर्ति मनोज तिवारी को पितृशोक, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार - Manoj Kumar Tiwari father passed away

न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के पिता नंदाबल्लभ तिवारी का निधन हो गया है. नंदाबल्लभ तिवारी नारायणदत्त तिवारी की सरकार में मुख्य स्थाई अधिवक्ता एवं अपर महाधिवक्ता थे. नंदाबल्लभ तिवारी सिविल एवं सर्विस मैटर के ज्ञाता थे

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न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के पिता का निधन

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Published : Feb 9, 2023, 8:55 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के पिता नंदाबल्लभ तिवारी का निधन हो गया है. नंदाबल्लभ तिवारी करीब 87 वर्ष के थे. नंदाबल्लभ तिवारी उत्तराखंड हाईकोर्ट सहित इलाहाबाद हाईकोर्ट के जाने माने वकील रह चुके हैं. गुरुवार शाम रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में न्यायाधीशों केअलावा अधिवक्ता, न्यायिक अधिकारी, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी शामिल थे.

नंदाबल्लभ तिवारी के पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ्य थे और उनका एम्स दिल्ली में इलाज चल रहा था. उनके पार्थिव शरीर को दिन में करीब साढ़े तीन बजे उनके आवास एलआईसी बिल्डिंग निकट मुखानी हल्द्वानी लाया गया. शाम करीब सवा चार बजे उनकी शवयात्रा रानीबाग चित्रशिला घाट के लिए निकली गई. जहां पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी. जिसके बाद उनकी राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई.

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उनकी चिता को उनके पुत्र न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने मुखाग्नि दी. उनकी अंत्येष्टि में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति पीसी पंत, उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति आलोक वर्मा, रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति एम एम घिल्डियाल, न्यायमूर्ति बीएस वर्मा, न्यायमूर्ति एनएस धानिक, न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल विवेक भारती, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभाकर जोशी, सहित कई लोग लोग मौजूद थे.

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नंदाबल्लभ तिवारी मूलतः नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के ल्वेशाल गांव के रहने वाले थे. उन्होंने 1962 से पिथौरागढ़ जिला कोर्ट से अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस शुरू की. बाद में वे इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2000 में उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. 2002 से 2007 तक पंडित नारायणदत्त तिवारी की सरकार में वे मुख्य स्थाई अधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता रहे.

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